राम रहीम की सजा के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार, जुर्माने पर रोक नहीं
नई दिल्ली। दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में राम रहीम को सीबीआई अदालत से मिली 20 साल की सजा खिलाफ याचिका को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट आज (सोमवार) स्वीकार लिया है। गुरमीत राम रहीम के वकील एसके गर्ग नरवाना ने बताया है कि हाईकोर्ट ने सीबीआई अदालत की सजा को अनुचित बताने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। हाईकोर्ट ने सजा को चुनौती देने वाली याचिका को एडमिट करते हुए सीबीआइ को नोटिस जारी किया है।
गुरमीत के वकील की तरफ से राम रहीम पर सीबीआई अदालत के लगाए जुर्माने की राशि पर रोक की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया। राम रहीम की ओर से कहा गया कि वो 30 लाख रुपए देने की स्थिति में नहीं है लेकिन कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए राम रहीम को जुर्माने की राशि जमा करवाने कहा है। सीबीआई कोर्ट ने डेरा प्रमुख पर 30 लाख का जुर्माना लगाया है।
राम रहीम के वकील ने सजा को अनुचित बताते हुए इसे खारिज करने की मांग करते हुए याचिका दी है, तो वहीं दोनों पीड़ित साध्वियों ने गुरमीत सजा को उम्रकैद में बदलने के गुहार हाईकोर्ट से लगाई है। इन याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधीर मित्तल की बेंच सुनवाई कर रही है।
एसके गर्ग नरवाना के जरिये दायर अपील में कहा है कि सीबीआइ अदालत ने बिना ठोस सुबूतों और गवाहों के ही उसे दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। नरवाना ने बताया है कि कई आधारों पर सीबीआई अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें एक आधार यह है कि घटना के बाद सीबीआई ने महिलाओं के बयान दर्ज करने में छह साल की देरी क्यों की। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने दावा किया है कि दोनों महिला अनुयायियों का 1999 में यौन उत्पीड़न किया गया और एजेंसी ने 2005 में बयान दर्ज किया।
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