Ram Mandir in Ayodhya: आखिर कैसा बनेगा अयोध्या में रामलला का भव्य राम मंदिर?
बेंगलुरु। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राममंदिर विवाद पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कह दिया कि अयोध्या की विवादित ढांचे वाली जमीन पर मंदिर बनेगा। माना जा रहा है कि अब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य जल्द ही शुरु हो जाएगा। इस फैसले के बाद सभी रामभक्तों में उत्सुकता हैं कि पांच सदी के बाद जो रामलला का मंदिर बनेगा उसका स्वरूप कैसा होगा? आइए जानते हैं...
पहले बता दें रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित राममंदिर बनाने के लिए वर्ष सिंतबर 1990 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा अयोध्या में रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला की स्थापना की गयी थी। इस कार्यशाला को स्थापित करने के लिए मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्रदास ने जमीन दान दी थी। कार्यशाला में ही प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के साथ पूजित शिलाएं व तराशी गईं शिलाएं भी रखीं हैं। परमहंस के साथ मंदिर आंदोलन के प्रमुख अशोक सिंहल, आचार्य गिरिराज किशोर, महंत नृत्यगोपाल दास, संघ विचारक मोरोपंत पिंगले आदि ने इस कार्यशाला की आधारशिला रखी थी।
दो मंजिला होगा यह राम मंदिर
रामजन्मभूमि की नाप आदि लेने के बाद प्रस्तावित मंदिर का नक्शा तैयार करने में पूरे तीन माह का समय लगा था। आम तौर पर मंदिर चौकोर होते हैं लेकिन अयोध्या के राम मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा, जो कि इसे अन्य मंदिरों से अलग पहचान देगा। इसकी परिक्रमा गोलाई में होगी। इसका शिखर भी अष्टकोणीय होगा। इस मंदिर के निर्माण पर 40 से 50 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है। राममंदिर का का जो क्षेत्र है, वह करीब 77 एकड़ में है। प्रस्तावित मंदिर दो मंजिला का है। इस मुख्य मंदिर के आगे-पीछे सीता, लक्ष्मण, भरत और भगवान गणेश के मंदिर होंगे। यह मंदिर अक्षरधाम मंदिर की शैली में बनेगा। इस मंदिर की लंबाई 270 मीटर और चौड़ाई 140 मीटर होगी। मंदिर 125 मीटर ऊंचा होगा। मंदिर में जाने के लिए पांच दरवाजे होंगे।
रामचरितमानस में वर्णित राम के हर रूप की मूर्तियां
रामजन्मभूमि न्यास ने 1992 में लगभग 45 एकड़ में रामकथा कुंज बनाने कि योजना बनाई थी। जिसमें राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूप को पत्थरों पर उकेरा जाएगा। 125 मूर्तियां बनाई जानी हैं। अब तक करीब 24 मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं। रामचरितमानस में वर्णित राम के हर रूप की मूर्तियां लगेंगी।
मंदिर में 212 खंभे लगाए जाएंगे
रामजन्मभूमि के पार्श्व में प्रवाहित मां सरयू, आग्नेय कोण पर विराजमान हनुमानजी, अयोध्यावासी और श्रद्धावनत साधक विराजित किए जाएंगे। जिसकी कल्पना पिछली पांच सदी से होती रही है। मंदिर के पांच प्रखंड होंगे। जिनमें अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप और गर्भगृह के रूप में मंदिर होगा। मंदिर में कुल 212 स्तंभ लगेगे। मंदिर के प्रथम तल पर 106 खंभे होंगे और इतने ही खंभे दूसरी मंजिल पर होगा। मंदिर की पहली मंजिल पर लगने वाले खंभे की ऊंचाई 16 फीट छह इंच होगी वहीं दूसरी मंजिल पर लगने लगने वाले खंभे की ऊंचाई 14 फीट छह इंच होगी। प्रत्येक स्तंभ पर यक्ष-यक्षिणियों की 16 मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां दिखायी देंगी। इनका व्यास चार से पांच फीट तक रहेगा।
गर्भगृह में विराजित रहेंगे रामलला
रामजन्मभूमि पर बनने वाले दो मंजिला राममंदिर के गर्भगृह में रामलला विजराजित रहेंगे। मंदिर के जिस कक्ष में रामलला विराजेंगे, उसी गर्भगृह से ठीक ऊपर 16 फीट तीन इंच का विशेष प्रकोष्ठ होगा। इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट तीन इंच ऊंचा शिखर निर्मित किया जाएगा। मंदिर के दूसरे तल पर रामदबार होगा।
मंदिर निर्माण में ढ़ाई वर्ष तक का समय लगेगा
इस प्रस्तावित मंदिर में एक लाख 75 हजार घन फीट लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग करके निर्माण किया जाएगा। इस मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके पीछे कारण यह है कि लोहा जंग लगने के कारण पत्थरों को कमजोर कर देता है। मंदिर के फर्श में संगमरमर लगाया जाएगा। प्रथम तल के पत्थरों की शिफ्टिंग के साथ ही गर्भगृह को आकार दिया जाएगा। जहां रामलला की प्रतिष्ठा होगी। कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों को दूसरे तल पर शिफ्ट करने में लगभग 6 माह का समय लगेगा। इसलिए माना जा रहा हैं कि मंदिर बनने में लगभग ढ़ाई वर्ष का समय लग सकता हैं। गौर करने वाले बात हैं कि भगवान राम के इस मंदिर के पत्थरों को ईंट-गारा की बजाय कॉपर और सफेद सीमेंट से जोड़ा जाएगा।
1090 से लगातार चल रहा मंदिर के पत्थरों को तराशने का काम
विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिरों के भारतीय शिल्प शास्त्र के हिसाब से इस मंदिर का निर्माण कराने का फैसला लिया है। विहप ने मंदिर निर्माण कार्यशाला में 1990 में यहां राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम शुरु करवाया था। तब से लेकर अब तक लगातार पत्थरों को तराशने का काम चल रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले विहिप ने यह काम बंद करवा दिया था। 1990 के बाद पहली बार पत्थरों को तराशने का काम बंद किया गया था। ऐसा अयोध्या पर आने वाले फैसले को ध्यान में रखते हुए किया गया था। विहिप के प्रस्तावित इस मंदिर मॉडल के भूतल के पत्थरों की तराशी का कार्य हो चुका है। इस कार्यशाला में पिछले 28 वर्षों से देश के कोने कोने से आए उच्चकोटि के कारीगारों द्वारा पत्थरों को तराशा जा रहा है। दो मंजिला राममंदिर बनने में 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगना है। कार्यशाला में करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा कर चुके हैं।
1992 से अस्थाई मंदिर में विराजित हैं रामलला
वर्ष छह दिसंबर वर्ष 1992 से रामजन्मभूमि में टेंट में बने अस्थाई मंदिर में रामलला विराजमान हैं। इस अस्थाई मंदिर की नींव कारसेवकों द्वारा विवादित ढांचे को गिराए जाने के बाद रखी गयी थी। विहिप ने वर्ष 1984 में विवादित स्थल का ताला खोलने और एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया था। 1 फरवरी वर्ष 1986 में जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी थी। जिसके बाद विवादित इमारत का ताला दोबारा खोला गय था। वर्ष 1992 में छह दिसंबर को कारसेवकों द्वारा विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद वहां 80 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा व करीब 16 फीट ऊंचा अस्थाई मंदिर बनाया गया। वर्ष 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया। जिसके बाद से इस अस्थाई मंदिर में विराजित राम भगवान की पूजा अर्चना की जा रही हैं। अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह राममंदिर बनने का सपना पूरा हो्गा। जहां रामलला विराजेंगे।
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