राम का जन्म कहां हुआ साबित नहीं कर सकते, आस्था ही सबूत: राम लला विराजमान
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। बुधवार को दूसरे दिन इस मसले पर कोर्ट में सुनवाई हुई, इस दौरान राम लला विराजमान के वकील के परसरन और निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने कोर्ट में अपनी दलील पेश की। परसरन ने सुनवाई के दौरान राम लला के अयोध्या में एक खास जगह पर जन्म लेने को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों को पेश किया। सुनवाई के दौरान पक्षकार राम लाल विराजमान की ओर से कहा गया है कि भगवान राम के अयोध्या में जन्म को लेकर लोगों में कभी नहीं डिगने वाला अटूट विश्वास ही इस बात का सबूत है कि राम लला का जन्म इसी स्थान पर हुआ था।
इस केस की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है, जिसके अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई हैं। कोर्ट में के परसरन ने कहा कि राम जन्मभूमि अपने आप में तमाम हिदुओं के लिए ईश्वर की प्रार्थना का स्थल बन गई है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि आखिर कैसे सैकड़ों वर्ष के बाद भगवान राम के जन्म स्थल के सबूत मौजूद रहेंगे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने निर्मोही अखाड़े से रामजन्मभूमि पर कब्जे के संबंध में सबूत मांगे हैं। कोर्ट ने अखाड़े से पूछा कि क्या कोई मौखिक, या कागजी सबूत या रेवेन्यू रिकॉर्ड है? इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी जिसमें कागजात गायब गए।
के परसरन ने कहा कि आखिर इतने सैकड़ों साल के बाद हम यह कैसे साबित कर सकते हैं कि भगवान राम का जन्म यहीं पर हुआ था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, एसए नजीर भी शामिल हैं। परसरन ने ने बेंच से कहा कि वाल्मिकी रामायण में इस बात का जिक्र है भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, कोर्ट ने पूछा कि क्या कभी इस तरह का मामला, या फिर भगवान के जन्म का मसला किसी कोर्ट में उठा है। कोर्ट ने कहा कि क्या किसी कोर्ट में जीसस क्राइस्ट का जन्म बेथेलेहम में हुआ, यह मसला उठा, जिसपर परसरन ने कहा कि हम इसकी जानकारी हासिल करके आपको देंगे।