पिता बॉर्डर पर तैनात, इन मुस्लिम भाइयों ने हिंदू बहनों की रक्षा का लिया है वचन
नई दिल्ली। एक तरफ जहां धर्म और सांप्रदायिकता के नाम पर दुनिया भर में नफरत फैलाने वालों की कमी नहीं है। धर्म के नाम पर समाज में नफरत का जहर घोलने वालों की कमी नहीं है। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो रिश्तों की कीमत समझते हैं और समाज में सद्भावना की मिसाल पेश करते हैं। हरियाणा के पानीपत के रहने वाले छाछपुर खुर्द के आजाद सिंह और कारड गांव के सिकंदर अली की कहानी कुछ ऐसी है।
आजाद सिंह और सिकंदर अली के परिवार ने पेश की सद्भावना की मिसाल
आजाद सिंह बीएसएफ में असिंस्टेंट कमांडेंट हैं और देश की रक्षा में बॉर्डर पर तैनात हैं। उनकी बेटियां और मुस्लिम दोस्त के बेटे सद्भावना की मिसाल बने हैं। किशनपुरा के रहने वाले आजाद सिंह की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी दीक्षा एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है जबकि छोटी बेटी दिव्या मेडिकल की तैयारी कर रही है। बेटा अमन नेशनल पिस्टल शूटर है।
ये भी पढ़ें: बिजनेस में अच्छे कैश फ्लो के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स
अरमान और शहजाद हर साल बंधवाते हैं राखी
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, मुखीजा कॉलोनी के सिकंदर अली व्यवसायी हैं औऱ उनके दो बेटे हर साल रक्षाबंधन पर बहनों से राखी बंधवाने आते हैं। रक्षाबंधन के मौके पर दीक्षा और दिव्या को अरमान और शहजाद का इंतजार रहता है। दोनों मुस्लिम भाइयों में होड़ रहती है कि वे अमन से पहले राखी बंधवाएं। रक्षाबंधन के त्योहार पर दोनों पॉकेट मनी से कुछ पैसे बचाकर बहनों को गिफ्ट देते हैं।
दीक्षा और दिव्या को भी रहता है रक्षाबंधन पर इनका इंतजार
इस रक्षाबंधन पर दीक्षा और दिव्या ने बताया कि पहली बार ऐसा है कि शहजाद नहीं आया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि ना आ पाने के लिए शहजाद ने वीडियो कॉल करके माफी मांग ली है। शहजाद किसी काम से जयपुर गया है और ये कहा है कि लौटते ही वह राखी बंधवाने आएगा। ईद हो या दीवाली, दोनों परिवार साथ-साथ त्योहार मनाते हैं। ईद में सिकंदर और दोनों बेटे आजाद सिंह के परिवार को खुद लेने आते हैं। वे कहते हैं कि धर्म और संप्रदाय का ख्याल उनके मन में कभी नहीं आया।
ये भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2019: एक धागा भाभी के भी नाम...जानिए क्यों?