राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने बताई अमिताभ बच्चन के मौजूदा लुक के पीछे की कहानी
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की आत्मकथा प्रकाशित हुई है. किताब और फ़िल्म के सफ़र पर उन्होंने बीबीसी से बात की.
'रंग दे बसंती', 'भाग मिल्खा भाग' और 'दिल्ली 6' जैसी फ़िल्में बनाने वाले फ़िल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने लेखिका रीता रामामूर्ति गुप्ता के साथ मिलकर अपने अब तक के जीवन को किताब की शक़्ल दी है. क़रीब दो दशक से फ़िल्में बना रहे राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने लगभग 7 फ़िल्मों का निर्देशन किया है जिसमें से कुछ फ़िल्में भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में शुमार हैं.
"स्ट्रेंजर इन द मिरर" नाम की इस आत्मकथा के कुछ ख़ास हिस्सों पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने बीबीसी से ख़ास बात की.
किताब लिखने का ख़्याल कैसे आया? इस सवाल के जवाब में राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा, ''मेरी ज़िंदगी एक खुली किताब है, लेकिन निश्चित तौर पर कुछ ऐसी बाते हैं जो मैं लोगों से साझा करना चाहता था, इस किताब में ज़िंन्दगी से जुड़ी वो सभी बातें हैं जो मैं लोगो को बताना चाहता हूं. हर उस फ़िल्म के पीछे की कहानी जो मैंने बनायी. इस पूरी यात्रा के दौरान आए उतार-चढ़ाव की कहानी.''
अपनी पहली फ़िल्म में ही अमिताभ बच्चन को कास्ट करने का किस्सा सुनाते हुए वह कहते हैं कि ''उसकी कहानी ने अमिताभ बच्चन साहब को मन्त्रमुग्ध कर दिया था और वो इसका हिस्सा बन गए.''
अमिताभ बच्चन की फ़्रेंच कट दाढ़ी राकेश ओमप्रकश मेहरा की फ़िल्म 'अक्स' के किरदार की ही देन है.
राकेश बताते हैं कि अमिताभ बच्चन को जब भी हमने देखा क्लीन शेवन ही देखा था या किसी किरदार में पूरी दाढ़ी के साथ देखा था. हमें लगा कि इस किरदार के लिए फ़्रेंच दाढ़ी उन पर बहुत जंचेगी. इस बात में चार-पांच महीने चले गए और फिर जब ट्रायल हुआ तो उनको भी यह लुक अच्छा लगा और वो मान गए.
रंग दे बसंती
लेकिन राकेश ओमप्रकाश मेहरा 'अक्स' फ़िल्म को अधूरी मानते हैं. उनका कहना है कि इस फ़िल्म से उनके फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत हुई है इसलिए वो अधूरी है.
उनका ये भी मानना है की उनकी कोई भी फ़िल्म पूरी नहीं है. वह मानते हैं कि उनकी फ़िल्में प्याज़ की तरह है जिसमें परतें हैं और जितना उसे खोलो उतनी ही परतें निकलती जाती हैं.
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म रंग दे बसंती हिंदी सिने इतिहास की कुछ सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक है. फ़िल्म को दर्शकों के साथ-साथ आलोचकों की भी ख़ूब वाहवाही मिली. फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. इस पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा कहते हैं कि ''वो फ़िल्म उनके साथ ही बढ़ रही है और वह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस दौर में थी.''
इस फ़िल्म के लिए आमिर ख़ान से पहले शाहरुख़ खान, ऋतिक रोशन को भी अप्रोच किया गया था पर वे इस फ़िल्म का हिस्सा नहीं बन पाए. वहीं हॉलीवुड के जेम्स बॉण्ड डेनियल क्रैग ने भी फ़िल्म के लिए ऑडिशन दिया था पर वो बॉन्ड बन गए और इस फ़िल्म का हिस्सा नहीं बन सके.
आईने का महत्व
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की किताब का नाम " स्ट्रेंजर इन द मिरर" है .
वह आईने से अपना एक अलग रिश्ता मानते हैं जिसकी झलक उनकी लगभग हर फ़िल्म में देखने को मिल जाती है.
राकेश ओमप्रकाश मेहरा मानते हैं कि ज़िन्दगी में बदलाव ज़रूरी है और जिस शक़्स को आप आईने में देखते हैं उसकी छवि बदलना ज़रूरी है. वह हर सुबह आईने में ख़ुद को देखकर कहते है कि- थोड़ी और हिम्मत बढ़े.
अपनी फ़िल्मों में आईने के महत्त्व पर टिप्पणी करते हुए राकेश ओमप्रकाश मेहरा आगे कहते है कि अक्स फ़िल्म का मतलब छवि होता है. फ़िल्म का तत्वज्ञान यही था की अच्छा आदमी बुरा आदमी आपके अंदर ही होता है और आईने में आपको दोनों दिखाई देंगे.
वहीं 'दिल्ली 6' में अभिषेक आईने में देखकर कहते हैं कि भगवन भी यहीं मिलेगा और अल्लाह भी यहीं मिलेगा.
'भाग मिल्खा भाग' में ऑस्ट्रेलिया में हार के बाद फ़रहान का किरदार मिल्खा सिंह आईने में देखकर अपने आप को चांटा मारता है और फिर रुकता नहीं है.
वहीं 'रंग दे बसंती' में आईने में सभी कलाकार आज की पीढ़ी और उन्नीसवीं सदी के क्रांतिकारी के रूप में दिखते हैं.
राकेश अपनी फ़िल्मों में आईने का एक रूपक के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
जहाँ राकेश ओमप्रकाश की कुछ फ़िल्मों ने सफलता की ऊंचाई देखी है तो कुछ फ़िल्मों ने असफलता की गहराई भी नापी है. उनका कहना है कि ये भी बहुत महत्वपूर्ण है कि अपनी फ़िल्मों को असफल होने की इजाज़त दे देनी चाहिए.
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