राज्यसभा में मानवाधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक 2019 हुआ पास
नई दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को मानवाधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पारित हो गया है। सोमवार को दिन भरी चली कार्यवाही के बाद उच्च सदन ने इसे पास कर दिया। मोदी सरकार की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों को और अधिक सक्षम बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। इससे पहले इस बिल को लोकसभा में 19 जुलाई को मंजूरी दी गई थी।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में लाए गए मानवाधिकार संरक्षण संशोधन प्रस्ताव पर कहा कि चीफ जस्टिस के ना मिलने पर जजों की नियुक्ति पर कहा कि अगर जस्टिस नहीं मिलेगा तब कौन इस पद को स्वीकार करेगा। उन्होंने आगे कहा कि चीफ जस्टिस और जस्टिस में ज्यादा फर्क नहीं है और दोनों अधिकारों में कोई अंतर नहीं है। शाह ने कहा कि कार्यकाल पांच से घटाकर 3 साल इसलिए किया गया है क्योंकि उम्र का प्रावधान है और निश्चित उम्र से ज्यादा के जज को नहीं ले सकते। सदन में बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग ध्वनिमत से खारिज हो गई साथ ही लाए गए संशोधनों को भी खारिज कर दिया।
वही लोकसभा में सोमवार को सूचना का अधिकार (संशोधन) बिल, 2019 पास पारित हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद ये बिल पास हो गया। लोकसभा में वोटिंग के बाद सूचना का अधिकार संशोधन बिल को विचार के लिए अनुमति दे दी गई। कांग्रेस और टीएमसी ने इस बिल को लेकर वॉकआउट किया। इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा कि सरकार मौजूदा बिल को कमजोर कर रही है। इसके बाद बिल को पारित करने का प्रस्ताव रखा गया और ये बिल ध्वनिमत से पारित हो गया।
संशोधित बिल के मुताबिक मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे। अभी तक मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है।