विपक्ष के विरोध के बीच राज्यसभा से नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पास
नई दिल्ली। देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC)बिल 2019 का विरोध कर रहे हैं। इसी बीच गुरुवार को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पास हो गया है। देश में मेडिकल शिक्षा का जिम्मा अब इसी 25 सदस्यीय आयोग के पास होगा। गुरुवार को बिल के विरोध में डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल तेज कर दी है। अब डॉक्टरों ने इस हड़ताल में इमरजेंसी सेवाओं को भी शामिल कर लिया गया है।
इस बिल में सरकार की ओर से शिक्षा में सुधार के लिए कई प्रावधान भी इस बिल के जरिए लाए गए हैं। कानून के लागू होने के साथ ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक ही परीक्षा होगी। जिसका नाम होगा शनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET)। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए टेस्ट देना होगा। वह यदि इस परीक्षा को पास करते है तभी उन्हें मैडिकल प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इसी के आधार पर पोस्ट ग्रैजुएशन में एडमिशन किया जाएगा।
वहीं विपक्षी दलों ने भी इस बिल का विरोध किया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार 6 महीने के ब्रिज कोर्स के बाद कम्यूनिटी हेल्थ प्रोवाइडर के नाम पर हम 70 फीसदी लोगों की जान से खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर के साथ काम करने से कोई डॉक्टर नहीं हो जाता। हमें इस पर कड़ी आपत्ति है, क्योंकि किसी के भी हाथों से ग्रामीण इलाकों में दवाई नहीं बंटवाई जा सकती है।
वहीं इस बिल के विरोध में डीएमके और सीपीआई की ओर से संशोधन प्रस्ताव लाए गए। जो कि वोटिंग के बाद गिर गए। केके रागेश की ओर से लाया गया संशोधन प्रस्ताव गिर गया है। प्रस्ताव के पक्ष में 51 सदस्यों ने वोट किया जबकि विपक्ष 104 में वोट पड़े। इस तरह संशोधन प्रस्ताव को सदन की मंजूरी नहीं मिली। वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी AIADMK ने सरकार की ओर से मांग नहीं माने जाने पर मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ वॉक आउट कर दिया है।
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