सदन में बोले सभापति वैंकेया नायडू ‘‘मेरी मानो नहीं तो दफा हो'' वाला रवैया मैं स्वीकार नहीं करूंगा
सदन में बोले सभापति वैंकेया नायडू ‘‘मेरी मानो नहीं तो दफा हो'' वाला रवैया मैं स्वीकार नहीं करूंगा
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को भी उपसभापति हरिबंंश से सांसदों द्वारा की गई बदसलूकी का मामला छाया रहा। सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा किसान बिल पर सदन में हंगामा करने और उपसभापति के साथ अभ्रदता करने वाले 8 सांसदों को निलंबित किया था वे सभी धरने पर बैठे हैं। सांसदों के व्यवहार से आहत हरिबंश ने सभापति नायडू को पत्र लिख कर कहा कि वो इस घटना हैं और वो एक दिन का उपवास करेंगे। वहीं सदन में सभापति नायडू ने हरिबंश की लिखे पत्र को बढ़ते हुए पक्ष-विपक्ष के सदस्यों को गरिमा का पाठ पढ़ाया।
मेरी मानो नहीं तो दफा हो'' वाला रवैया मैं स्वीकार नहीं करूंगा
इसके साथ ही एम वेंकैया नायडू ने सदन में विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के बीच उप सभापति हरिवंश द्वारा दिखाये गये संयम की सराहना की और विरोध कर रहे नेताओं के आचरण को नामंजूर करते हुए कहा ‘‘मेरी मानो नहीं तो दफा हो'' वाला रवैया मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य सदन में आंदोलन कर रहे थे। विरोध करने वाले नेताओं के आचरण को अस्वीकार करते हुए नायडू ने कहा "मेरा रास्ता या राजमार्ग"। नायडू ने कहा कि निलंबित किए गए सांसद यह समझ नहीं रहे कि उनसे क्या गलती हुई है।
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बीच में बोले नायडू हिंदी 'मेरी हिंदी तो ठीक है न?
सांसदों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए वैंकेया नायडू ने हिंदी में भी अपनी बात रखी। बीच में अटके तो सदन के सदस्यों से पूछा, 'मेरी हिंदी तो ठीक है न?'वहीं सभापति नायडू ने विपक्ष के नेताओं से राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने के उनके निर्णय पर दोबारा विचार करने और सदन में हो रही चर्चा में हिस्सा लेने की अपील की। नायडू ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि कृषि संबंधी दो विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान मत विभाजन की सदस्यों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया।
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लोकतंत्र का अर्थ बहस, ना कि व्यवधान उत्पन्न करना
नायडू ने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ बहस करना, चर्चा और निर्णय करना होता है ना कि ऐसे व्यवधान उत्पन्न करना। बतौर सभापति नायडू ने कहा कि सदन चाहता है कि सदस्यों की पूर्ण भागीदारी के साथ सदन को संचालित किया जाए। आपके पास संख्या बल है, आपको अपनी सीट पर रहना चाहिए, मत विभाजन की मांग करनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ये पहला मौका नहीं है जब निलंबन हुआ है।
इन आठ सांसदों को किया गया निलंबित
गौरतलब रविवार को सदन में एनडीए सरकार द्वारा पेश किए कृषि संबंधित विधेयक के पारित होने के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने भारी हंगामा किया था। सरकार ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, माकपा के इलामरम करीम, के के रागेश, आप के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा को मानसून सत्र के बचे हुए सत्र से निलंबन का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनि मत से पारित कर दिया। जिसके बाद सभापति ने 8 सांसदों को निलंबित कर दिया।
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