जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने तक बढ़ाने के प्रस्ताव को राज्य सभा में मिली मंजूरी
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने तक बढ़ाने के प्रस्ताव को राज्य सभा में मंजूरी मिल गई है। जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन), बिल 2019 भी राज्य सभा में पारित हो गया है। इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस की सांसद विप्लव ठाकुर ने सरकार पर जम्मू-कश्मीर के हालात बिगाड़ने का आरोप लगाया है और साथ ही पूछा कि अगर वहां पर लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो राज्यसभा चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं। उन्होंने पूछा कि जो इस समय हालात हैं वह तंग सोच की वजह से हैं।
लोकसभा में जहां कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल का समर्थन किया तो वहीं राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाले बिल का विरोध किया। चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कश्मीर के हालात के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं। इस पर कांग्रेस के नेता भड़क गए और काफी देर तक हंगामा जारी रहा।
अमित शाह ने कहा कि केंद्र तैयार है, चुनाव आयोग जब चाहे राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला ले सकता है। राज्य में दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था। शाह ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव हाल के लोकसभा चुनाव के साथ-साथ नहीं कराया गया, क्योंकि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था।
उन्होंने कहा कि चुनाव में जिन उम्मीदवारों के भाग लेने की उम्मीद थी, उन सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था। शाह ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा, "जब भी चुनाव आयोग राज्य में चुनाव करवाना चाहेगा, मतदान होग और केंद्र इसमें दखल नहीं देगा। पहले चुनाव आयोग को कांग्रेस काबू करती थी, लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे।"