Rajsthan Assembly Elections 2018: इस बार राम भरोसे नहीं चल सका चुनावी अभियान
नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से टाला उसके बाद तमाम हिंदू संगठनों और भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर लगातार बयानबाजी की। कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट को भी कटघरे में खड़ा किया। राम मंदिर का मुद्दा इस बार के चुनाव प्रचार में भी पूरी तरह से छाया रहा। तमाम नेताओं ने राम मंदिर को लेकर जमकर बयानबाजी की। लेकिन अगर आम लोगों के बीच इस मुद्दे को लेकर रूचि की बात करें तो लोगों ने राम मंदिर के मुद्दे पर कुछ खास रूचि नहीं दिखाई।
राम मंदिर का मुद्दा विफल
स्थानीय लोगों में राम मंदिर का मुद्दा कुछ खास असर नहीं कर सका। प्रदेश में लोगों के बीच मजदूरों को उनकी दिहाड़ी, उद्योग-धंधे में मंदी, खेतों में मजदूरों की दिहाड़ी में अहम मुद्दे रहे। स्थानीय लोगों से बात करने पर यह साफ नजर आता है कि लोगों में राम मंदिर का मुद्दा कुछ खास असर नहीं कर सका। गौर करने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैलियों में अली और बजरंग बली जैसी बयानबाजी की, लेकिन बावजूद इसके लोगों में इसका कुछ खास असर नहीं दिखा।
जमकर राम मंदिर मुद्दे को उठाया गया
प्रदेश में चुनावी माहौल के दौरान राम मंदिर के लिए अयोध्या में संतों का जमावड़ा हुआ, ऐसे में माना जा रहा था कि संतों का यह जमावड़ा जनमानस में कुछ असर दिखाएगा, लेकिन वह भी राजस्थान में लोगों के बीच कुछ खास मुद्दा नहीं रहा। इस दौरान आरएसएस ,विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेताओं की ओर से भी जमकर बयानबाजी की गई, लेकिन यह सब लोगों में फुस्स नजर आया। राम मंदिर का मुद्दा लोगों के बीच चुनावी मुद्दा बनने में पूरी तरह से विफल रहा।
11 दिसंबर को परिणाम
गौरतलब है कि राजस्थान में विधानसभा में आज विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं। प्रदेश के चुनाव नतीजे 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। इस बार जहां भाजपा ने दोबारा सत्ता में वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी तो दूसरी तरह सरकार से लोगों की नाराजगी को भुनाने की हर संभव कोशिश की। प्रदेश में राजपूत, जाट, एससी, एसटी वोट बैंक को साधने की दोनों ही दलों ने पूरी कोशिश की है, हालांकि यह देखने वाली बात होगी दोनों ही दल अपनी रणनीति में कितना सफल हुए हैं।
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