CAA के समर्थन में आए सुपर स्टार रजनीकांत, बोले मुसलमानों पर असर नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध चल रहा है। लेकिन इस बीच तमिल फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया है। रजनीकांत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लागू किए जाने से मुसलमान समुदाय पर इसका कोई असर नहीं होगा। यही नहीं रजनीकांत ने कहा कि अगर इस कानून से मुसलमान समुदाय को नुकसान होता है तो वह इसका विरोध जरूर करेंगे। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ फिल्म जगत दो हिस्सों में बंट गया है। एक वर्ग इस कानून का समर्थन कर रहा है जबकि दूसरा वर्ग लगातार इस कानून का विरोध कर रहा है।
मुसलमानों को हर तरह का अधिकार
रजनीकांत ने कहा कि मुसलमानों को हर तरह का अधिकार है, वह देश का बंटवारा होने के बाद यहां रहे। उन्होंने भारत को अपनी मातृभूमि के तौर पर चुना। अगर उन्हें किसी भी तरह की मुश्किल होगा तो रजनीकांत व्यक्तिगत रूप से इसका विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होगा। रजनीकांत ने नेताओं और धार्मिक गुरुओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग छात्रों को इस मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं। ये लोग नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस को लेकर छात्रों को गुमराह कर रहे हैं। रजनीकांत ने कहा कि केंद्र सरकार का दावा है कि सीएए से किसी भी मौजूदा भारतीय नागरिक पर कोई असर नहीं होगा। वहीं एनपीआर पर रजनीकांत ने कहा कि इसकी जरूरत थी ताकि यह पता चल सके कि हमारे देश में कौन घुसपैठिया है। अभी तक एनआरसी को तैयार नहीं किया गया है।
छात्रों से की अपील
रजनीकांत ने तमाम छात्रों से अपील की है कि वह अपने बड़े-बुजर्ग या फिर प्रोफेसर से पहले इस बारे में सलाह लें इसके बाद इस कानून का विरोध करने में शामिल हों। नेता और धार्मिक गुरू इन छात्रों को भड़का रहे हैं। इन लोगों को गुमराह किया जा रहा है। किसी भी प्रदर्शन में शामिल होने से पहले छात्रों को अपने बड़ों या फिर प्रोफेसर से जरूर सलाह लेनी चाहिए। एक एफआईआर उनकी जिंदगी को बर्बाद कर सकती है। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के नागरिकों को कुछ शर्तों पर भारत की नागरिकता दिए जाने का कानून है।
क्या है सीएए
इस कानून के तहत हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के उन लोगों को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है जो लोग भारत में 31 दिसंबर 2014 से भारत में रह रहे हैं और इन लोगों को इनके देश में धर्म के आधार पर शोषण हुआ हो। हालांकि इस कानून का विरोध कर रहे लोगों का कहना है यह कानून देश के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
इसे भी पढ़ें- अयोध्या के रौनाही में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन का ऐलान, यूपी कैबिनेट का फैसला