1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले योद्धा की पत्नी के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने छुए पैर
नई दिल्ली, 14 दिसंबर। 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर जीत की 50वीं वर्षगांठ से पहले आज नई दिल्ली में विजय पर्व समाधान समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। इस युद्ध में अपना अदम्य साहस दिखाते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले और परमवीर चक्र से सम्मानित कर्नल होशियार सिंह की पत्नी धन्नों देवी भी शामिल हुईं। कर्नल होशियार सिंह के प्रति सम्मान दिखाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धन्नो देवी के पैर छुए।

इस समारोह को लेकर राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा, 'बांग्लादेशी मुक्तिजोधाओं और 1971 के युद्ध में अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले भारत के वीरों के साथ गर्मजोशी से बातचीत की। भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने बहादुर संघर्ष में साहसी मुक्तिजोधाओं के साथ मिलकर काम किया।' बता दें कि कर्नल होशियार सिंह ने 1971 के युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश बना, जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण करते हुए अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
Had a warm interaction with the Bangladeshi Muktijoddhas and the Indian war veterans who fought against injustice in 1971 war.
The Indian Armed Forces worked together with the courageous Muktijoddhas in their valiant struggle.#SwarnimVijayParv pic.twitter.com/R6LnbUzeZC
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 14, 2021
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समारोह में भारतीय सीमाओं की रक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के प्रयासों की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, 'आप हमारे देश की सीमाओं सहित हमारी एकता और अखंडता के रक्षक रहे हैं। आज हमारा देश निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। देश चैन की नींद सोता है क्योंकि आप जैसे लोग जागते रहते हैं। आपके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि वैसे तो भारत और बांग्लादेश दो अलग-अलग राष्ट्र हैं पर वास्तव में दोनों की समान संस्कृतियां और भाषाएं रही हैं। उन्होंने कहा कि आइये हम सब प्रण लें कि हम युवा भी राष्ट्र और समाज की सेवा और अपनी पूर्ण क्षमता और तपस्या के साथ काम करें, ताकि आज से 50 साल बाद के लोग आपकी कहानी को दोहराने का संकल्प लें। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है और मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप सभी इस कार्य में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे मन में सैनिकों का सम्मान केवल उनकी सेवा तक नहीं बल्कि उसके बाद भी उतना ही है। हमारा सदैव यही प्रयास है कि आप सभी के लिए बेहतर से बेहतर कर पाएं और इसके लिए हम मन से प्रतिबद्ध हैं।