राजस्थान: मजाल है, जो इस गांव में कोई वोट मांगने चला जाए
जयपुर। राजधानी जयपुर से करीब 250 किमी दूर नागौर जिले के डांगावास में जाटों का इतना खौफ है कि कोई भी राजनेता इस गांव का दौरा कर वोट मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। अब जब वोटिंग के लिए 10 से भी कम दिन रह गए हैं तब भी इस 2,500 घरों वाले विशाल गांव में एक भी राजनेता ने जाकर अपने लिए वोट नहीं मांगा है। दरअसल नागौर का डांगावास गांव तीन साल पहले सबसे ज्यादा चर्चा में आए था, जब यहां के 5 दलितों की हत्या कर दी गई थी और आरोप जाट समुदाय के लोगों पर लगा था।
जाट पॉलिटिक्स के लिए डांगावास गांव का एक विशेष महत्व है, क्योंकि यहां जाटों के हजारों वोटर हैं। इस गांव में करीब 2,500 घर हैं, जिसमें से करीब 350 दलित और बाकि के ज्यादातर सभी घर जाट समुदाय के हैं। इंग्लिश डेली डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इतना बड़ा गांव और हजारों कीं संख्या में वोटर होने के बावजूद अभी तक किसी भी राजनेता ने यहां एक चुनावी रैली या जनसभा करने की हिम्मत नहीं जुटाई है।
डांगावास में मई 2015 की वह घटना कोई भी नहीं भुला पा रहा है, जब एक प्रोपर्टी डिस्प्यूट की वजह 5 दलितों की हत्या कर दी गई। इस गांव में उस दौरान इतना तनाव बढ़ गया था कि पूरे गांव को पुलिस छावनी मे तब्दील करना पड़ा था। मेड़ता विधानसभा क्षेत्र में आने वाले इस गांव ने 2013 में बीजेपी को वोट दिया था, लेकिन इस बार गांव के लोगों का कहना है कि वे कमल पर बटन नहीं दबाएंगे। दलितों का आरोपों है कि किसी भी पार्टी या राजनेता ने उनके समाज के लिए कुछ भी नहीं किया है। एक दलित एक्टिविस्ट ने कहा कि इस घटना के बाद उन्होंने 20 मांगे रखी थी, जिसमें से सिर्फ एक मांग ही पूरी हो पाई है।
इस घटना के बाद जाट समुदाय लोगों पर आरोप लगा और कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई। इस वक्त 27 आरोपियों पर सीबीआई की जांच चल रही है। इस गांव में न सिर्फ बीजेपी के लिए, बल्कि लोगों का गुस्सा कांग्रेस के खिलाफ भी उतना ही है, जिन्होंने वहां के लोगों को न्याय दिलाने के झूठे वादे किये थे। राजस्थान के हिंडौन की घटना (इसी साल 1 अप्रैल को दलित बंद को दौरान हिंसा) भी डांगावास के जाटों को परेशान कर रही है। इस दौरान हिंडौन के उच्च जाति के लोगों ने बीजेपी एमएल राजकुमारी जाटव के घर को भी आग के हवाले कर दिया था।