Rajasthan: अस्पताल पर लगाया था आरोप, मुसलमान होने की वजह से नहीं हुआ इलाज, जांच में झूठा निकला दावा
नई दिल्ली। देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में राजस्थान से खबर आई थी कि गर्भवती मुस्लिम महिला को सिर्फ इसलिए अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया क्योंकि वह मुस्लिम थी, जिसके चलते महिला को एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा और जन्म के बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि परिवार का आरोप सही नहीं है और जांच में इस तरह की कोई बात साबित नहीं हो सकी।
महिला के पति का आरोप
गर्भवती महिला को भरतपुर के डॉक्टरों ने जयपुर के अस्पताल में रेफर किया गया था, जिसके बाद रास्ते में ही महिला ने एंबुलेंस में बच्चे को जन्म दिया और रास्ते में ही बच्चे की मृत्यु हो गई। स्थानीय प्रशासन ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमे उसका कहना है कि नवजात के पिता इरफान खान ने अपने बयान में कहा कि अस्पताल के स्टाफ को जब हमारे घर का पता चला और उन्हें हमारे धर्म के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात वहां से निकली है। रविवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमे जिसमे खान कहते हैं कि नवजात के जन्म लेने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि हमारे साथ जो भी हुआ उसकी वजह यह है कि हम मुसलमान हैं, लेकिन यह मेरा व्यक्तिगत विचार है।
महिला के पति आरोप पर कायम
वीडियो में इरफान खान कहते हैं कि अस्पताल के डॉक्टरों ने उनसे ये नहीं कहा कि इलाज इसलिए नहीं हो सकता कि वह मुसलमान हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार इरफान ने कहा कि उन्होंने वीडियो में कहा कि उन्होंने यह वीडियो इसलिए बनाया क्योंकि अधिकारियों ने उनसे कहा कि इस मसले को आगे तूल ना दें। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस ने धमकी दी और उनपर दबाव डाला। इरफान का अभी भी दावा है कि अस्पताल के स्टाफ ने इसलिए इलाज से मना किया क्योंकि हमारा धर्म इस्लाम है। अस्पताल के लोगों को लगा कि हम तबलीगी जमात के लोग हैं।
स्थानीय प्रशासन ने की जांच
भरतपुर के अर्बन इंप्रूवमेंट के सचिव उम्मेदी लाल मीणा ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमे इरफान खान के हवाले से कहा गया है कि जब इरफान से पूछा गया कि क्या अस्पताल ने मुसलमान होने की वजह से उनसे गलत बर्ताव किया और इलाज करने से मना कर दिया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर हमसे यह नहीं कहा तुम मुसलमान हो इसलिए तुम्हारा इलाज नहीं करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इरफान की साली ने अपने बयान में कहा है कि भरतपुर अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें जयपुर के अस्पताल में रेफर किया था, उन्हें गाली या गलत बर्ताव नहीं किया था। उन्होंने यह नहीं कहा कि मुसलमान होने की वजह से उनका इलाज नहीं करेंगे।
अस्पताल के दस्तावेजों से झूठा साबित हुआ दावा
इरफान ने कहा कि घटना के बाद पुलिस ने मुझे धमकी दी थी, जब पुलिस अधिकारी ने धमकी दी और कहा कि इस मसले को तूल देना सही नहीं होगा, इसके बाद मैंने ये वीडियो बनाया। मुझे अभी भी लगता है कि मुसलमान होने की वजह से डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया। लेकिन प्रशासन ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमे कहा गया है कि बयानों, एडमिशन टिकट, सोनोग्राफी रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पीड़ित का आरोप सही नहीं है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया और उनका इलाज नहीं किया गया क्योंकि वह मुसलमान थे। प्राथमिक उपचार के बाद महिला को जयपुर रेफर किया गया था क्योंकि महिला की हालत काफी गंभीर थी।
क्या कहना है महिला डॉक्टर का
प्रशासन की रिपोर्ट में उस डॉक्टर का भी बयान है जिसने इरफान की पत्नी का प्राथमिक उपचार किया था। महिला डॉक्टर रेखा झरवाल का कहना है कि महिला 7 महीने के गर्भ से थी और उसका रक्तस्त्राव काफी ज्यादा था। इस वजह से महिला काफी कमजोर हो गई थी, बच्चे की दिल की धड़कन भी नहीं सुनाई दे रही थी। महिला की गंभीर हालत देखने के बाद यह सुझाव दिया गया कि वह जयपुर के अस्पता जाए, महिला के रिश्तेदार इस बात के लिए राजी भी थे। महिला का प्राथमिक उपचार किया गया था। मैंने महिला और उसके रिश्तेदारों से किसी भी तरह का गलत बर्ताव नहीं किया था, ना ही धर्म की वजह से उनका इलाज करने से मना किया था। अस्पताल का कहना है कि मार्च में भरतपुर अस्पताल में कुल 699 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमे 8 महिलाएं मुस्लिम थीं। 38 महिलाओं को दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था, जिसमे से सिर्फ एक मुस्लिम महिला थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इरफान खान की पत्नी अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है।
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