सचिन के पिता राजेश पायलट ने भी दिखाए थे तीखे तेवर लेकिन नहीं छोड़ा था कांग्रेस का हाथ
जयपुर। राजस्थान में इस वक्त सियासी पारा चरम सीमा पर है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सियासी शह मात का खेल जारी है, सचिन पायलट के विद्रोह से सीएम अशोक गहलोत की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है, सूत्रों की माने तो अब कांग्रेस बागी हुए सचिन पायलट को मनाने की कोशिश नहीं करेगी, वैसे जहां एक और पार्टी सरकार बचाने की कवायद में जुटी है और दावे कर रही है कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है तो वहीं दूसरी ओर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सचिन पायलट अपने परम मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, हालांकि हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, सचिन पायलट के एक बेहद करीबी सहयोगी ने बताया कि डिप्टी सीएम भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं और ना ही विपक्षी पार्टी के साथ किसी तरह की मुलाकात की, मालूम हो कि सचिन पायलट को तीव्र और ऊर्जावान नेता कहा जाता है, उन्हें ये गुण अपने पिता राजेश पायलट से मिला है, जिन्होंने खुद एक बार कांग्रेस को तीखे तेवर दिखाए थे लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी थी।
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तो चलिए एक नजर डालते हैं फ्लैशबैक पर....
सचिन के पिता राजेश पायलट ने भी दिखाए थे तीखे तेवर
मालूम हो कि सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट, जो कि पूरी जिंदगी कांग्रेस में रहे, ने भी कभी तीखे तेवर दिखाए थे, हालांकि उन्होंने पार्टी की वरिष्ठ और शीर्ष नेताओं की मनमानी से तंग आकर विरोध जताया था और कहा था कि कांग्रेस पार्टी में अब कुर्सी का खेल होता है और लोग सत्ता के लोभ में पार्टी का उसूल और जनसेवा को भूल गए हैं।
राजेश पायलट लड़ा था कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव
बात साल 1997 की है, जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था, उस समय ये बात अपने आप में काफी अनोखी और बड़ी थी कि पार्टी के अंदर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा गया, राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा था, ये कांग्रेस का सबसे खराब दौर था, पार्टी से गांधी परिवार दूर हो रहा था और पार्टी में कुर्सी को लेकर बगवत शुरू हो गई थी, उस समय पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए राजेश पायलट, सीताराम केसरी और शरद पवार के बीच चुनाव हुआ था।
गांधी परिवार के बेहद करीब थे राजेश पायलट
जिसमें पायलट और पवार को हार नसीब हुई थी लेकिन पार्टी में काफी बिखराव था, जिसे संभालने के लिए एक बार फिर से गांधी परिवार ही आगे आया और सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और 1998 में पार्टी अध्यक्ष बनीं, पार्टी के अंदर उनके विदेशी मूल का भी मुद्दा बनाया गया, जिसके कारण शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर जैसे बड़े नेताओं ने पार्टी तक छोड़ दी लेकिन राजेश पायलट ने तीखे तेवर दिखाने के बावजूद गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा और ना ही कांग्रेस को छोड़कर किसी के साथ गए।
1980 में राजेश पायलट ने भरतपुर से जीता था चुनाव
गौरतलब है कि 13 साल तक वायुसेना की सेवा करने वाले राजेश पायलट ने कांग्रेस ज्वाइन की थी, 1980 में उन्होंने राजस्थान की भरतपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था, वो राहुल गांधी के पिता और पूर्व पीएम राजीव गांधी के काफी करीब कहे जाते थे, दोनों अक्सर वायुसेना की बातें करते थे, राजेश पायलट का गांधी परिवार में काफी आना जाना था और इसी वजह से सचिन पायलट, बचपन से ही राहुल-प्रियंका से काफी करीब रहे हैं , ये नजदीकियां आगे चलकर दोस्ती में भी तब्दील हुई लेकिन आज ये दोस्ती दांव पर लगी है, देखते हैं कि सचिन पायलट, अपने पापा की तरह गुस्सा दिखाकर भी कांग्रेस में बने रहते हैं, या फिर अपने करीबी मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बीजेपी का दामन थाम लेते हैं।
मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रही हैं
बता दें कि 42 वर्षीय सचिन पायलट 2002 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके बाद वह राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं, उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रही हैं।