राजस्थान में सियासी ड्रामे की बीच आज 10 बजे एक बार फिर कांग्रेस विधायक दल की बैठक, पायलट को न्योता
राजस्थान में सियासी ड्रामे की बीच कल 10 बजे एक बार फिर कांग्रेस विधायक दल की बैठक, पायलट को न्योता
नई दिल्ली। राजस्थान की गहलोत सरकार पर छाएं संकट के बादल के बीच बागी तेवर दिखाने वाले उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को कांग्रेस लगातार मनाने में जुटी है। सोमवार को पहले सचिन पायलट से कांग्रेस के पांच दिग्गज नेताओं ने बात की और जयपुर जाने की सलाह दी। वहीं मंगलवार सुबह दस बजे राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की एक बार फिर बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए राजस्थान कांग्रेस पार्टी के आरएस सुरजेवाला ने देते हुए कहा कि हमने इस बैठक में सचिन पायलट और सभी विधायकों से आने का अनुरोध करते है और हम उन्हें लिखित में भी देंगे। हमने उनसे बैठक में आने और स्थिति पर चर्चा करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने अनुरोध किया है कि वे आएं और पार्टी के साथ चर्चा करें कि कैसे हमारी पार्टी 8 करोड़ आबादी वाले राजस्थान की एकजुट होकर सेवा दे सकती है और पार्टी को और कैसे मजबूत किया जा सकता है। सुरजेवाला ने कहा कि अगर किसी के साथ कुछ भी मतभेद हैं तो उन्हें यह खुले मन और दिमाग से आकर कहना चाहिए। पार्टी सुप्रीमों सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी हर किसी को सुनने और समाधान खोजने के लिए तैयार हैं।
To discuss political situation another Congress Legislative Party (CLP) meet will be held here at 10 am tomorrow. We request Sachin Pilot & all MLAs to come, we'll also give them in writing. We've requested them to come & discuss the situation: RS Surjewala, Congress. #Rajasthan pic.twitter.com/cqVY0XiVqf
— ANI (@ANI) July 13, 2020
बता
दें
राजस्थान
के
पायलट
की
बगावत
के
बाद
राजस्थान
सरकार
पर
मंडरा
रहे
संकट
के
बीच
सुरजेवाला
को
जयपुर
में
पर्यवेक्षक
बनाकर
भेजा
गया
है।
सोमवार
को
दोपहर
सुरजेवाला
ने
कहा
कि
कांग्रेस
नेतृत्व
ने
पिछले
48
घंटे
में
सचिन
पायलट
से
कई
बार
बात
की।
व्यक्तिगत
प्रतिस्पर्धा
वाजिब
हो
सकती
है
लेकिन
राजस्थान
राज्य
व्यक्तिगत
प्रतिस्पर्धा
से
बड़ा
है।
उन्होंने
कहा
कि
पायलट
को
या
अन्य
विधायकों
को
मतभेद
है
तो
उनके
लिए
कांग्रेस
पार्टी
के
दरवाजे
सदैव
खुले
थे,
हैं
और
रहेंगे।
उन्होंने
ये
भी
कहा
कि
कभी-कभी
आपस
में
वैचारिक
मतभेद
उत्पन्न
हो
जाता
है
जो
प्रजातांत्रित
प्रणाली
में
स्वाभाविक
है।
परन्तु
वैचारिक
मतभेद
पैदा
होने
से
चुनी
हुई
अपनी
ही
पार्टी
की
सरकार
को
कमजोर
करना
या
भाजपा
को
खरीद-फरोख्त
का
मौका
देना
अनुचित
है।