क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

राजस्थान में सीएम को लेकर राहुल ने कैसे गहलोत और पायलट के बीच की डील पक्की?

Google Oneindia News

जयपुर। नई दिल्ली से लेकर जयपुर तक दो दिनों तक चली लंबी माथापच्ची के बाद आखिरकार शुक्रवार को कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया। यह तीसरी बार है, जब गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिग्गज गहलोत और युवा पायलट के साथ मीटिंग कर एक को राजस्थान की सत्ता सौंपी तो दूसरे को राज्य में पार्टी के रूप में मुखिया की भूमिका निभाने के लिए कहा। साथ ही पायलट को अपने वरिष्ठ गहलोत के डिप्टी के रूप में कार्यभार भी सौंपा है।

स्टेट पार्टी प्रेसिडेंट के रूप में पायलट पर लगनी थी मुहर

स्टेट पार्टी प्रेसिडेंट के रूप में पायलट पर लगनी थी मुहर

पहले बार-बार यह अटकलें लगाई जा रही थी कि राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान भी उसी को सौंपी जाए जिसने पार्टी स्टेट प्रेसिडेंट के रूप में काम किया हो। पार्टी का एक धड़ा चाहता था कि जैसे पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह को और अभी कमलनाथ को मध्यप्रदेश की सत्ता सौंपी गई, उसी प्रकार सचिन पायलट को भी राजस्थान की कमान दे देनी चाहिए। हालांकि, यहां गहलोत का दांव काफी मजबूत दिखा और जीतकर आए विधायकों में गहलोत की लॉबी ज्यादा मजबूत थी।

डूबते कांग्रेस का सहारा बने थे पायलट

डूबते कांग्रेस का सहारा बने थे पायलट

पार्टी के एक ग्रुप का तर्क था कि सचिन पायलट ने राजस्थान में पिछले पांच सालों में अभूतपूर्व काम किया है। दिसंबर 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस का पूरा सफाया कर दिया था। उसके बाद पायलट को राजस्थान की कमान सौंपी गई, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस का फ्लॉप शो जारी रहा और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस की हवा निकाल दी थी।

हार के बाद भी डटे रहे पायलट

हार के बाद भी डटे रहे पायलट

राजस्थान में कांग्रेस को फिर से जिंदा करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए पायलट अपने काम पर लगे रहे। लगातार मिल रही हार के बाद पायलट का सामना राजस्थान निकाय चुनावों से हुआ, जहां कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा उभरकर सामने आया। उसके बाद अलवर और अजमेर जैसी बड़ी संसदीय सीटों के उपचुनावों में कांग्रेस ने अपना झंडा गाड़ कर बीजेपी को संकेत दे दिया था कि आने वाले विधानसभा चुनावों में जीत की राह इतनी आसान नहीं होने वाली है। उपचुनावों में मिली जीत ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में काम करने का नया जोश भर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पायलट के नेतृ्त्व में ही राजस्थान में कांग्रेस एक बार फिर उठ खड़ी हुई है।

2019 की तैयारी में पायलट?

2019 की तैयारी में पायलट?

11 दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के निर्णय आने के बाद राजस्थान में कांग्रेस की जीत ने पायलट का कद और बढ़ा दिया, लेकिन राज्य की कमान किसको सौंपी जाए इस पर पार्टी के भीतर अलग से मंथन शुरू हुआ। दिल्ली में राहुल गांधी के घर दो दिन तक चली बैठकों में कांग्रेस अध्यक्ष ने गहलोत और पायलट से दो बार अलग-अलग मीटिंग की। इस बार डील पक्की करने के लिए शुक्रवार को गांधी ने दोनों ही नेताओं को एक साथ बुलाया। इस मीटिंग में पायलट मान गए कि वे गहलोत के डिप्टी के रूप में काम करेंगे और राज्य में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अपने काम को जारी रखेंगे। 2019 के चुनावों को देखते हुए पायलट ने राजस्थान में पार्टी को और ज्यादा मजबूत करने और अपने वरिष्ठ के नेतृत्व में काम करने के लिए पायलट राजी हो गए।

Comments
English summary
Rajasthan: How Rahul Gandhi seal the deal between Ashok Gehlot and Sachin Pilot for CM race
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X