राजस्थान: स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में वापस ली अपनी याचिका
खबर है कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने को लेकर कांग्रेस नेताओं में ही सहमति नहीं थी...
नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर छाए संकट के बीच एक बड़ी खबर है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को हाईकोर्ट से मिली फौरी राहत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका को वापस ले लिया है। स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को याचिका वापस लिए जाने की जानकारी दी। आपको बता दें कि स्पीकर सीपी जोशी की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करने वाला था। दरअसल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने को लेकर कांग्रेस नेताओं में सहमति नहीं थी।
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मामले को राजनीतिक तरीके से सड़क पर लड़ने पर विचार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं का एक धड़ा चाहता है कि मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने के बजाय, लड़ाई को राजनीतिक तरीके से ही सड़क पर लड़ा जाए। वहीं, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता सुप्रीम कोर्ट के जरिए मामले का हल निकालने पर सहमत थे। इस मामले को लेकर अंतिम फैसला शीर्ष नेतृत्व के ऊपर छोड़ दिया गया था, जिसके बाद आज याचिका को वापस ले लिया गया।
बागी विधायकों की अयोग्यता से जुड़ा है मामला
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते जब स्पीकर सीपी जोशी ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था और इन सभी को हाईकोर्ट से फौरी राहत मिल गई थी, तो कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से भी कांग्रेस को झटका लगा और हाईकोर्ट ने बागी विधायकों को मिली राहत को आगे बढ़ा दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्पीकर फिलहाल बागी विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।
गवर्नर ने विधानसभा सत्र बुलाने से संबंधित फाइलें वापस भेजीं
वहीं सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग से संबंधित सभी फाइलें राज्य सरकार को वापस भेज दीं। इसके अलावा राज्यपाल ने सरकार ने कुछ अन्य जानकारियां भी मांगी हैं। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर राज्यपाल की तरफ से कोई विचार ना किए जाने के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोबारा प्रस्ताव भेजकर सत्र बुलाने की मांग की थी।