कथित रेप पीड़िता की मां का दावा, “प्राइवेट पार्ट के नज़दीक गहरे घाव, बच्ची के साथ ग़लत काम हुआ है”

अलवर ज़िले में 11 जनवरी की देर शाम तिजारा पुलिया पर लहूलुहान हालत में मिली मूक बधिर नाबालिग़ लड़की के साथ बलात्कार होने का शक़ जताया जा रहा था.
लेकिन कथित रेप पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और अभी तक मिले तकनीकी साक्ष्य के आधार पर पुलिस का कहना है कि 'सेक्सुअल पेनिट्रेशन', 'वजाइनल और इनर पेनिट्रेशन' की पुष्टि नहीं हुई है.
हालांकि, जयपुर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती पीड़िता की मां ने बीबीसी हिंदी से हुई बातचीत में कई सवाल उठाए हैं और दावा किया है कि उनकी बच्ची के साथ ग़लत काम तो हुआ है.
जयपुर केसरकारी अस्पताल में भर्ती है पीड़िता
जयपुर के इस बड़े सरकारी अस्पताल की पहली मंज़िल पर स्थित मुख्य ऑपरेशन कक्ष (ओटी) में 15 साल की यह पीड़िता भर्ती है. ओटी के बाहर अस्पताल प्रबंधन के दो सुरक्षाकर्मियों सहित राजस्थान पुलिस की तीन महिला और एक पुरुष पुलिसकर्मी भी तैनात हैं.
पीड़िता के परिजनों से मुलाक़ात कराने का आग्रह करने पर वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को फ़ोन कर इसकी इजाज़त ली.
उसके बाद अंदर से पीड़िता के माता-पिता को ओटी के गेट पर बुलाया गया. मूक-बधिर बेटी के दर्द और न्याय की आस पीड़िता के माता-पिता के चेहरे पर पढ़ी जा सकती थी.
ओटी के गेट पर मौजूद सभी पुलिसकर्मी और अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों के सामने ही पीड़िता के माता-पिता से हमारी बातचीत शुरू हुई.
घटना का ज़िक्र करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा, "गांव से क़रीब 60 किलोमीटर दूर किसी की ज़मीन पर हम खेती करते हैं. 11 जनवरी की शाम को हमारी बड़ी बेटी ने गांव से फ़ोन कर बताया कि छोटी बहन घर पर नहीं है. जिसके बाद रिश्ते में मेरे साले ने पुलिस को सूचना दी."
उन्होंने कहा, "बेटी के लापता होने की जानकारी मिलते ही हम गांव के लिए निकल गए थे. रात 9 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से जानकारी मिली कि एक बच्ची मिली है. जब अस्पताल जा कर देखा तो वो हमारी ही बच्ची थी. उसके शरीर से बेहद ख़ून निकल रहा था और वो बेहोशी की हालत में थी. वहां से बेटी को हम जयपुर लेकर आए.''

मेडिकल रिपोर्ट से हैरान हैं परिजन
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने पीड़िता के पिता से फ़ोन पर बातचीत की थी. यह पूछने पर कि उन्होंने क्या कहा, पीड़िता के पिता ने बताया, "रात क़रीब 10.30 बजे कॉल आई थी. प्रियंका गांधी ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया और बेटी की हालत की जानकारी ली."
हमसे बात करते हुए पीड़िता की मां की आवाज़ तेज़ थी. उनकी आवाज़ से उनके ग़ुस्से का अंदाज़ा लगाया जा सकता था. वो मेडिकल रिपोर्ट में 'सेक्सुअल पेनिट्रेशन', 'वजाइनल और इनर पेनिट्रेशन' की पुष्टि न होने की बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखतीं.
बेटी की हालत के बारे में पूछने पर वो कहती हैं, "उसके कपड़े कहीं से फटे नहीं थे. नीचे सलवार भी बंधी हुई थी."
हाथ से इशारा करते हुए वो बताती हैं, "प्राइवेट पार्ट के नज़दीक बेहद गहरे घाव के अलावा कहीं चोट नहीं है. एक्सीडेंट भी होता तो कपड़े फटे होते. शरीर पर अन्य जगह भी चोट होती, लेकिन यह एक्सीडेंट नहीं है. इतना दिमाग़ तो हम भी दिमाग़ लगाते हैं. मैंने अपनी बेटी के जख़्म देखे हैं. उसके साथ ग़लत काम हुआ है."
इस मामले को लेकर देशभर में हो रही राजनीति पर वो कहती हैं, "हमें नहीं पता बाहर क्या हो रहा है. हम ग़रीब लोग हैं. हमें बेटी के लिए न्याय चाहिए."

गंभीर हालात में रात दो बजे जयपुर पहुंची पीड़िता
अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर्स की एक टीम की निगरानी में पीड़िता का इलाज जारी है. उधर देशभर में इस घटना की चर्चा है. लेकिन, इस पर बात करने से अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर भी हिचक रहे हैं.
बेहद कोशिश के बाद नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक स्वास्थ्यकर्मी ने हमें बताया, "पीड़िता को 11 दिसंबर की देर रात दो बजे गंभीर हालत में अलवर से रेफ़र करने के बाद यहां लाया गया. उसकी पल्स रेट भी बहुत कम थी."
उन्होंने बताया, "पीड़िता का बहुत ख़ून बह चुका था और वह बेसुध थी. उसके निजी अंग के पास बहुत बड़ा घाव था. हमने पहले कभी ऐसी हालत में इस अस्पताल में कभी किसी को नहीं देखा."
पीड़िता को अलवर के स्थानीय अस्पताल में एक यूनिट ख़ून चढ़ाने के बाद यहां रेफ़र किया गया था. सुबह क़रीब चार बजे फिर ख़ून चढ़ाया गया और फिर सुबह डॉक्टर्स की टीम ने क़रीब तीन घंटे तक ऑपरेशन किया.

'ऐसी गंभीर हालत कभी नहीं देखी'
अस्पताल के एक अन्य स्वास्थ्यकर्मी ने भी नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कहा, "2016 से लेकर अब तक अस्पताल में पीड़िता समेत क़रीब 50 नाबालिग़ बलात्कार पीड़िताओं को लाया गया है. लेकिन, ऐसी गंभीर स्थिति हमने कभी नहीं देखी."
स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया, "पीड़िता का एडमिशन टिकट (इलाज का संपूर्ण ब्यौरा) भी अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष शुक्ला के पास ही रखा गया है. ऐसा पहली बार है जब एडमिशन टिकट को अधीक्षक के पास रखा गया है."
पीड़िता की हालत के बारे में उन्होंने कहा, "अभी उसे खाना नहीं खिलाया जा रहा है. ड्रिप के ज़रिए ही दिया जा रहा है. 15 जनवरी को बच्ची की ड्रेसिंग भी की गई है."
इस घाव के बाद क्या पीड़िता को भविष्य में कोई समस्या तो नहीं होगी. इस सवाल पर अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरविंद शुक्ला ने बीबीसी को बताया, "घाव तो सभी भर जाते हैं."
पीड़िता के साथ रेप की घटना हुई है या नहीं. इस सवाल पर उन्होंने कहा, "हमने रिपोर्ट दे दी है. अब पुलिस बताएगी."
इसी सवाल पर नाम न छापने की शर्त पर एक स्वास्थ्यकर्मी ने कहा, "पीड़िता के घाव गंभीर हैं. ऐसे में पूरी संभावना है कि भविष्य में उसके लिए समस्या हो सकती है."

अब तक हुई पुलिस कार्रवाई
अलवर पुलिस ने इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं की है. पुलिस घटना से जुड़े सभी सीसीटीवी देख रही है. जांच में अब तक सामने आया है कि पीड़िता ऑटो से शहर पहुंची थी. एसएफ़एल रिपोर्ट में ऑटो में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है.
एक अन्य सीसीटीवी फुटेज में 11 जनवरी यानी घटना की शाम 7.31 बजे पीड़िता को तिजारा पर पैदल अकेले जाते हुए देखा जा रहा है. फुटेज में घटनास्थल से 350 मीटर की दूरी पर पीड़िता को देखा जा रहा है. पीड़िता के सीसीटीवी में नज़र आने से 15 मिनट के दौरान पुलिया से गुज़रे वाहनों और लोगों की पहचान की जा रही है.
इस बारे में अलवर ज़िले की एसपी तेजस्विनी गौतम ने बीबीसी हिंदी को बताया, "अभी हम आईडेंटिफ़ाई कर रहे हैं कि उस दौरान कौन-कौन उस पुलिया पर मौजूद था."
वो कहती हैं, "एसएफ़एल रिपोर्ट का भी इंतज़ार कर रहे हैं. बच्ची से भी अभी हमारी बात नहीं हो पा रही है, क्योंकि डॉक्टर्स ने अभी उसे फिट नहीं बताया है."
मेडिकल रिपोर्ट और अभी तक के तकनीकी साक्ष्य के आधार पर पुलिस का कहना है कि 'सेक्सुअल पेनिट्रेशन', 'वजाइनल और इनर पेनिट्रेशन' की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में नहीं हुई है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी हमारी जांच जारी है.
मालूम हो कि इस मामले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी को सौंपी गई है. एसआईटी की रिपोर्ट आना अभी बाक़ी है.
हालांकि, घटना के चार दिन बीतने के बाद भी दोषियों के नहीं पकड़े जाने पर आम जन से लेकर राजनीतिक दल भी पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

प्रियंका गांधी ने पीड़िता की मां को किया फ़ोन
अलवर में हुई इस घटना को दिल्ली में 2012 में निर्भया के साथ हुई घटना से जोड़कर देखा जा रहा है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पीड़िता की मां से फ़ोन कर बात की है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी लगातार इस घटना को लेकर राजस्थान की सरकार और कांग्रेस को घेर रही है.
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से लेकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बयान जारी कर इस घटना को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने एक समिति गठित कर पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की है. समिति में राष्ट्रीय मंत्री डॉ. अलका गुर्जर, प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष अलका मूंदड़ा, प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा, प्रदेश मंत्री जितेंद्र गोठवाल शामिल हैं.
यह समिति गुरुवार को प्रियंका गांधी का घेराव करने के लिए सवाई माधोपुर भी गई थी. शनिवार को यह समिति अलवर में पीड़िता के गांव, कलेक्टर और एसपी से मिलने गई थी.
दरअसल में, प्रियंका गांधी अपने जन्म की 50वीं सालगिरह मनाने सवाई माधोपुर आईं थी. बीजेपी का कहना है कि इस दौरान उन्होंने पीड़िता से मुलाक़ात नहीं की. हालांकि, शुक्रवार रात प्रियंका गांधी ने फ़ोन पर पीड़िता के पिता से बात की और उन्हें कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया.
बीजेपी ने पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पूरे राजस्थान में 17 और 18 जनवरी को विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है. पार्टी इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर रही है.
इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बताया है कि इस मामले को लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों, अलवर की एसपी, पीड़िता का इलाज कर रहे वरिष्ठ डॉक्टरों से संपर्क बना हुआ है. डीजी पुलिस को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कर जल्द ही मामले की तह तक पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि इस मामले पर राजनीतिक दलों को अनर्गल बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस को स्वतंत्र रूप से अनुसंधान कार्य तुरंत पूरा करना चाहिए. अनुसंधान के नतीजों तक पहुंचने के बाद ही टिप्पणी करना उचित होगा.
https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1482406087932653570
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने शनिवार को बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में इस मसले पर एक बार फिर राज्य सरकार पर हमला बोला है.
उन्होंने कहा, "इस घटना पर कार्रवाई को 'यू टर्न' देने का कारण उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव हैं. यदि सीएम और राजस्थान पुलिस मानती है कि दुष्कर्म नहीं हुआ, तो राजस्थान पुलिस और राजस्थान सरकार पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता. एक दम से 'यू टर्न' करना सवाल खड़े करता है. इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप देना चाहिए."
साल 2021 में राजस्थान में दर्ज़ मामले और उनपर हुई पुलिस कार्रवाई पर पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर ने हाल ही में आंकड़े जारी किए थे.
आंकड़ों के अनुसार, 2020 में राज्य में रेप के 5,310 मामले दर्ज़ किए गए. वहीं 2,021 में 1,027 मामले बढ़ने के बाद यह संख्या बढ़कर 6,337 पर पहुंच गई. साल 2021 के रेप के दर्ज़ मामलों में से 835 की जांच अभी लंबित है.
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