राजस्थान के एक भी जिले का पानी पीने लायक नहीं: रिपोर्ट
जयपुर। राजस्थान में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जिसका पानी पीने के लायक बचा हो। लोग दूषित पानी पी रहे हैं और इसके तलते लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, खासतौर से इससे फ्लोरोसिस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ये बात ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट कहती है कि राज्य के 33 जिलों में से एक जिले का भी पानी ठीक नहीं है।
फ्लोराइड बढ़ने से सेहत को नुकसान
पानी में फ्लोराइड की वजह से प्रदेश में फ्लोरोसिस के मामले सामने आ रहे हैं। यहां तक कि जानवर भी इसके शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में सबसे कम पीपीएम झालावाड़ के पानी में 1.5, वहीं सबसे ज्यादा 99 पीपीएम नागौर के पानी में हैं। इससे जहां युवाओं में हड्डियों से जुड़ी परेशानी हो रही हैं, वही नवजात बच्चों में स्किन की समस्या आ रही है।
बीते 20-25 साल में सामने आई है ये समस्या
पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में 90 के दशक में पानी में पीपीएम की बढ़ी मात्रा पाई गई। उद्योग बढ़ने के बाद पानी में पीपीएम बढ़ा। 2015 में पहली बार पशुओं में फ्लोरोसिस की बीमारी मिली। कोटा और उदयपुर में ये बीमारी सामने आई। बकरियों के साथ-साथ भैंस और बकरियों में भी ये बीमारी मिली। बीते तीन-चार साल से ये बढ़ता ही जा रहा है।
ये रही हैं वजहें
राजस्थान के 33 जिले इससे प्रभावित हैं। ये समस्या 80 के दशक में नहीं थी। 90 के दशक में औद्योगिकरण के बाद हालात बिगड़ने लगे। पानी में एक पीपीएम से ज्यादा मात्रा खतरनाक है। वहीं नागौर जिले में 99 पीपीएम है।
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