राजस्थान में जीका वायरस का कहर, जयपुर में सामने आए 22 मामले, PMO ने मांगी रिपोर्ट
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नई दिल्ली। चुनावी सरगर्मियों के बीच जयपुर से आई एक खबर ने राजस्थान से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा दिया है और वो खबर है जीका वायरस की, जी हां, पिंक सिटी में 22 लोगों के जीका वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय से व्यापक रिपोर्ट मांगी है। जयपुर में इस वायरस से संक्रमित हुए लोगों में एक व्यक्ति बिहार का रहने वाला है और वह हाल ही में सीवान जिले स्थित अपने घर गया था।
जीका के 22 मामलों की पुष्टि हुई है: स्वास्थ्य मंत्रालय
इस बारे में मंत्रालय ने कहा है कि कुल 22 मामलों की पुष्टि हुई है। जयपुर के निर्धारित इलाके में सभी संदिग्ध मामलों को और इस इलाके के मच्छरों के नमूनों की जांच की जा रही है। विषाणु शोध एवं रोग पहचान प्रयोगशालाओं को अतिरिक्त जांच किट मुहैया की गई हैं साथ ही लोगों को सावधान रहने के लिए भी कहा गया है। गर्भवती महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा होता है लिहाजा इलाके में सभी गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जा रही है।
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गहलोत ने साधा सीएम राजे पर निशाना
इस मुद्दे पर जमकर राजनीति भी शुरू हो गई है, राज्य के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है और अब जीका वायरस भी राजस्थान में प्रवेश कर गया है। ये सभी स्थितियां राज्य को जकड़ रहे संवेदनशील मुद्दों के प्रति सरकार की बेरुखी को जाहिर करती हैं, अब सीएम की गौरव यात्रा खत्म हो गई है, कम से कम वो राज्यवासियों के स्वास्थ्य की चिंता करें।
क्या है जीका वायरस
जीका एक वायरस है, जो एडीज, एजिप्टी और अन्य मच्छरों से फैलता है, ये चिकनगुनिया और डेंगू भी फैलाते हैं। इससका असर सबसे बुरा और ज्यादा असर नवजात बच्चों, गर्भ में पल रहे शिशु, शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को होता है। इस वायरस के कारण लोग शारीरिक तौर से विकलांग हो सकते हैं।
लक्षण
इसके लक्षण धीरे-धीरे शरीर में दिखते हैं। इस वायरस से पीड़ित मरीज की त्वचा बेजान हो जाती है या उसे रैशेज होने लगते हैं। वहीं मरीज के हाथ, पैर और आंखों में जलन होती है। बुखार के साथ मरीज के सिर, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। हाथ और पांव में सूजन भी आ जाती है, मरीज को तेज बुखार हो जाता है, ये बुखार 102 डिग्री तक भी हो सकता है।
खतरा
इस वायरस से माइक्रोसेफेली का खतरा हो सकता है। इससे प्रभावित बच्चे का जन्म अविकसित और छोटे दिमाग के साथ होता है। इसके अलावा इससे ग्यूलेन-बैरे का भी खतरा होता है। यह सिंड्रोम शरीर की तंत्रिका पर हमला कर रोगी को लकवे का शिकार भी बना सकती है। सालों से वैज्ञानिक इसकी रोकथाम के लिए कोशिश में जुटे हैं लेकिन इस वायरस को रोकने में उन्हें अभी तक सफलता हासिल नहीं हुई है।
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