अयोध्या फैसला: हैदराबाद के MLA ने अमित शाह से कहा- ओवैसी को गिरफ्तार कीजिए
नई दिल्ली- हैदराबाद के एक विधायक राजा सिंह ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बयान के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। ओवैसी ने अदालत के फैसले को 'तथ्यों पर विश्वास' की जीत बताया है और उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दिए जाने के प्रस्ताव को भी ठुकाने का सुझाव दिया है। हालांकि, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उनके सुझाव को नजरअंदाज कर दिया है।
ओवैसी ने कहा क्या था ?
दरअसल, अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने असंतुष्टी जताई है। उन्होंने इस फैसले के बाद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, 'भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए।' औवैसी ने कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं।' ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है। अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती।
ओवैसी की गिरफ्तारी की मांग
ओवैसी के इस बयान के बाद हैदराबाद के गोशामहल सीट से भाजपा विधायक और सदन में पार्टी के नेता राजा सिंह ने कहा है कि, "ओवैसी अपने बयान से भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोनों समुदायो ने स्वीकार किया है...हम नहीं चाहते कि हैदराबाद या किसी दूसरे शहर की शांति भंग हो....गृहमंत्री अमित शाह जी से निवेदन करता हूं कि ओवैसी को गिरफ्तार करें।"
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज भी असंतुष्ट
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके गांगुली ने भी असंतोष जाहिर किया है। जस्टिस गांगुली ने कहा है कि अल्पसंख्यकों के साथ गलत किया गया है। जस्टिस गांगुली ने कहा कि वे इस फैसले से हक्का-बक्का और परेशान हैं। संविधान हर किसी को यह अधिकार देता है, हर किसी के साथ न्याय होना चाहिए। लेकिन इस मामले में अल्पसंख्यकों के साथ न्याय नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि तोड़फोड़ करके मस्जिद को गिराया गया था। यहां तक कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है कि नियमों का उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि आखिर किसके साथ गलत किया गया, अल्पसंख्यकों के साथ गलत किया गया है।
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