सपा में राजा भईया इन लेकिन आज़म खां होंगे आउट!
आप इस नाम को सुनकर चौंक जरूर गये होंगे, लेकिन यह सच है कि पार्टी के अंदर आजम खां को लेकर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मुलायम और अखिलेश इस बात को मीडिया के सामने जगजाहिर नहीं करना चाहते हैं, जबकि आजम ने अपनी खटास जाहिर करने की कोशिश भी की, सवाल भी उठे, लेकिन दब गये। वो मौका था पार्टी की वार्षिक कार्यकारिणी बैठक, जो आगरा में हुई थी। उस बैठक में नहीं पहुंच कर आजम खां ने अपनी नाराजगी जगजाहिर भी की थी, लेकिन मुलायम ने उस बात को दिल पर नहीं लिया।
राजनीति का गलियारा कुछ ऐसा होता है, जहां हर बार दिल काम नहीं करता है, ज्यादातर मामलों में दिमाग हावी रहता है। पार्टी में अब अधिकांश नेताओं का दिमाग आज़म खां को बाहर करने के तरीके खोजने में जुटा हुआ है और आलाकमान मौका ढूंड रहा है कि कब बाय-बाय कहें। सपा के एक नेता ने बातों ही बातों में पार्टी के अंदर की कलह को बातचीत में जाहिर कर दिया। जब मैंने उन्हें कुरेदा तो पहले तो वह घबरा गये, कि यह मैंने क्या कह दिया, लेकिन गोपनीय ढंग से आखिरकार सच उगल ही दिया।
पार्टी नेता ने कहा कि मीडिया में बार-बार यही बात कही जाती है कि सपा का मुस्लिम वोट आजम खां की वजह से है और इसी बात का फायदा उठाकर आज़म अपनी हर बात मनवाने में सफल हो जाते हैं। जब से सरकार बनी है, तब से आजम खां की कई जगह मनमानी के कारण गच्चा खाना पड़ा है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पार्टी की एक बैठक में भी आजम खां और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच तना-तनी हुई। लेकिन अब आलाकमान को लगने लगा है कि आजम के पार्टी से जाने पर भी कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लिहाजा मौका देखकर क्लीन बोल्ड करना ही बेहतर होगा।
मुस्लिम फैक्टर और आजम खां
अगर आप यह सोच रहे हैं कि आजम खां के जाने से सपा के मुस्लिम वोट कट जायेंगे, तो आप गलत हैं। क्योंकि वोट के मामले में दिग्गज नेताओं का प्रभाव सिर्फ 30 प्रशित ही काम करता है, बाकी 70 प्रतिशत मेहनत स्थानीय स्तर पर काम करने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की होती है। और पिछले चार सालों में सपा में स्थानीय स्तर पर हर जिले में मुस्लिम नेता हैं।
सपा के जिला व शहर अध्यक्षों को ही अगर एक कतार में खड़ा कर दें, तो हर तीसरा-चौथा अध्यक्ष मुस्लिम ही मिलेगा। दूसरी सबसे अहम बात यह है कि अखिलेश के प्रभाव से प्रदेश का युवा वर्ग सपा से गहराई से जुड़ चुका है और इस वर्ग का कोई धर्म या जाति नहीं होती। युवा अपने भविष्य को देखते हुए वोट करता है, फिर प्रत्याशी चाहे हिन्दू हो या मुसलमान।
भाजपा भी भांप गई है
आजम खां को लेकर सपा के अंदर क्या चल रहा है, इस बात को भाजपा भी भांप गई है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रमोहन सिंह ने यह बात मीडिया के सामने कही भी है। उन्होंने कहा, "सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री का यह कहना कि सपा का उनके बिना काम नहीं चलेगा यह एक तरह से अपनी ही पार्टी को ब्लैकमेल करना है। मुजफ्फरनगर हिंसा में आजम की भूमिका साफतौर पर सामने आ चुकी है। अब वह इससे बचने के लिए अपनी ही पार्टी को ब्लैकमेल कर रहे हैं।" चंद्रमोहन ने कहा, "मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद जिस तरह से सत्य का खुलासा स्टिंग ऑपरेशन में हुआ था। उससे आजम का चेहरा बेनकाब हो गया है। अब वह अपने आप को बचाने के लिए मुलायम और सपा को ब्लैकमेल कर रहे हैं।"
कहां जायेंगे आजम खां
अगर समाजवादी पार्टी को अलविदा कहा, तो आजम खां सीधे कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करेंगे। वो करें न करें, कांग्रेस उन्हें खुद खींच लेगी। ऐसा इसलिये क्योंकि एक समय था जब यूपी में मुस्लिम वोट सिर्फ कांग्रेस के खाते में जाता था, पिछले कुछ सालों में यह वोट सपा के खाते में जा रहा है और उस वोट पर सेंध मारने के लिये आज़म खां से बेहतरीन सिपाही कांग्रेस के लिये कोई नहीं हो सकता। इसमें भी कोई शक नहीं कि अगर आजम खां कांग्रेस में आये, तो उन्हें सीधे महासचिव का पद मिलेगा, जो इस समय दिग्विजय सिंह हैं, और वहीं से आजम खां की राष्ट्रीय स्तर की राजनीति शुरू होगी।