जानिए, क्या हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से शिवसेना की जड़ पर मट्ठा डालकर महाराष्ट्र में उद्धव की जगह लेंगे राज ठाकरे!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र की राजनीति हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर एक बार फिर करवट ले सकती है। गत 9 फरवरी को मुंबई के गिरगांव चौपाटी स्थित आजाद मैदान में आयोजित महारैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे का अंदाज-ओ-बयां इसकी तस्दीक करती है। मनसे कार्यकर्ताओं के हाथ में भगवा रंग के नए झंडे के बीच राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत नज़र आए राज ठाकरे ने मनसे को हिंदूवादी और राष्ट्रवादी पार्टी के विकल्प के रूप में पेश किया।
मनसे चीफ राज ठाकरे ने रैली को संबोधित करते हुए देश में लागू हो चुके नागरकिता संशोधन कानून (सीएए) और संभावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का खुलकर समर्थन करते हुए अपने तेवर साफ कर दिए। शिवसेना संस्थापक बालासाहिब ठाकरे के अंदाज में राज ठाकरे ने रैली में बेलौस होकर देश में मौजूद अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से मांग की, जिनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए घुसपैठिए शामिल हैं।
शिवसेना संस्थापक बालासाहिब के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले राज ठाकरे ने रैली में बेहद गर्मजोशी दिखाई और शिवसेना संस्थापक के अंदाज में एकत्रित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज से ईंट का जवाब पत्थर से ऐर तलवार का जवाब तलवार से दिया जाएगा। राज ठाकरे ने अपने तेवर से स्पष्ट कर दिया कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना की अनुपस्थिति में हिदूवादी और राष्ट्रवादी राजनीति की शून्य पड़ी उर्बर जमीन पर कब्जे के लिए कोई कोर-कसर नही छोड़ना चाहते हैं।
बहुत दिनों बाद बेबाक और बेलौस अंदाज में दिखे राज ठाकरे
एमएनएस चीफ राज ठाकरे बहुत दिनों बाद अपने बेबाक और बेलौस अंदाज में रैली में दिखाई दिए। अपने भाषण में उन्होंने बिना लाग लपेट अपनी बातें रखीं। चाहे वह सीएए हो अथवा एनआरसी, जिसको लेकर महाराष्ट्र समेत पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन पिछले कई महीनों से चल रहा है। मनसे प्रमुख ने रैली में पाकिस्तान, सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे मुंबई के बाहरी इलाके में रहने वाले नाईजीरियाई और मुस्लिम समुदाय को भी निशाने पर लेने से भी नहीं कतराए।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी छटपटाछट छुपा नहीं पाए
शायद यही वह कारण था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी छटपटाछट छुपा नहीं पाए और राज ठाकरे के खिलाफ बयान करते हुए कहा कि शिवसेना को अपना हिन्दुत्व साबित करने के लिए झंडा बदलने की जरूरत नहीं है। उद्धव ठाकरे अच्छी तरह जानते हैं कि महा विकास अघाड़ी मोर्च में सेक्युलर पार्टियों के साथ गठबंधन के चलते उनकी सियासी जमीन खिसक सकती है इसलिए उद्धव की स्थिति महाराष्ट्र सरकार में सांप और छछूंदर जैसी हो गई है।
सेक्युलर से गठजोड़ से शिवसेना की सियासी जमीन कमजोर हुई
शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, लेकिन समान विचार धारा वाली बीजेपी को छोड़कर परस्पर विरोधी दल कांग्रेस और एनसीपी के साथ पकड़ने से महाराष्ट्र में शिवसेना की सियासी जमीन कमजोर हुई है। चूंकि बीजेपी और शिवसेना पिछले 30 वर्षों से साथ-साथ महाराष्ट्र में चुनाव लड़ रहीं थीं और दोनों के मुद्दे और एजेंडे भी कमोबेश एक थे, इसलिए महाराष्ट्र में दूसरी बार दोनों पार्टियों को जनादेश मिला था।
उद्धव ठाकरे पर लगता रहा है स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप
इसके अलावा शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे पर जनादेश का अपमान करके स्वार्थ का राजनीति करने का आरोप लगता आ रहा है, जिससे पीछा छुड़ाने के लिए उद्धव ठाकरे के पुराने सहयोगी बीजेपी को निशाने पर लेते रहे हैं। हालांकि राष्ट्रवादी और हिंदूवादी दिखने की होड़ में शिवसेना चीफ नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ खड़े होने से गुरेज करती रही है। यही कारण था कि शिवसेना ने सीएबी बिल के पक्ष में लोकसभा में समर्थन किया और राज्यसभा में वॉक आउट हो गई। इतना ही नहीं, अन्य कांग्रेस शासित राज्यों से इतर चलते हुए महाराष्ट्र में सीएए के खिलाफ विधानसभा प्रस्ताव लाने से उद्धव ने गुरेज किया।
हिंदूवादी और राष्ट्रवादी राजनीति की जमीन के खिसकने से डरे उद्धव
कारण साफ है कि उद्धव ठाकरे हिंदूवादी और राष्ट्रवादी राजनीतिक जमीन के खिसकने से डरे हुए हैं और बयानों के जरिए लगातार संदेश देने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने सिर्फ गठबंधन किया है हिंदूवादी राजनीति से किनारा नहीं किया है। शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरे होने पर अयोध्या यात्रा की घोषणा करके चचेरे भाई राज ठाकरे को हिंदूवादी राजनीति से दूर रहने का संदेश दिया है। चूंकि जब तक शिवसेना महाविकास अघाड़ी मोर्च में बनी हुई है तब तक मनसे चीफ खाली जमीन पर हाथ-पांव मारने से नहीं चूंकेगी। ऐसे आसार हैं कि मनसे चीफ राज ठाकरे और आक्रामक तेवर अपनाकर शिवसेना को घेरने की कोशिश करेंगे।
हिन्दुत्व की राजनीति में नई जान फूंकने के प्रयास में जुटे हैं राज ठाकरे
महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति में नई जान फूंकने के प्रयास में जुटे हैं राज ठाकरे मुस्लिम विरोधी तमगे से दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने रैली में मुस्लिम समुदाय को टारगेट नहीं किया। उन्होंने रैली में कहा कि सीएए भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ नहीं, फिर क्यों मुस्लिम सीएए का विरोध कर रहे हैं। उन्हें कौन देश से बाहर निकालने को कह रहा है।
भारतीय मुस्लिम समुदाय को भारत में मिली है सबसे ज्यादा आजादी
बकौल राज ठाकरे, जो आजादी मुस्लिम समुदाय को भारत में मिली है, वो दुनिया के किसी अन्य देस में नहीं है। आप उस देश को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसने आपको इतना कुछ दिया है। भारत के मुस्लिम किसे अपनी ताकत दिखा रहे, क्योंकि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठिए को देश से निकालने के लिए कोई समझौता नहीं हो सकता, उन्हें देश से बाहर जाना ही होगा।
किंगमेंकर से किंग बने उद्धव ठाकरे ने गंवा दिया मातोश्री का ऐश्वर्य
राज ठाकरे का यह तेवर शिवसेना संस्थापक बालासाहिब ठाकरे से मिलता-जुलता है। याद कीजिए, बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना महाराष्ट्र में किंग मेकर की भूमिका में होती थी। महाराष्ट्र में सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन मजमा मातोश्री में ही लगता था। कहा जाता है कि महाराष्ट्र में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने वाले हिंदू ह्रदय सम्राट के नाम से मशहूर बालासाहिब ठाकरे महाराष्ट्र में समानांतर सरकार चलाते थे, लेकिन उनके उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे ने किंगमेंकर से किंग बनकर न केवल मातोश्री का ऐश्वर्य गंवा दिया बल्कि एक हिंदूवादी पार्टी को बिना आत्मा वाले शरीर में बदल कर रख दिया।
महाराष्ट्र में शिवसेना की जगह लेने में कामयाब होंगे राज ठाकरे
महाराष्ट्र की राजनीति में आया यह खालीपन संभवतः राज ठाकरे भरने को कोशिश कर रहे हैं। अगर राज ठाकरे अपने तेवर और तल्खी बरकरार रखने में कामयाब हो गए तो शिवसेना की छोड़ी हुई उर्वर राजनीति पर मनसे को फसल काटने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसमें उनका साथ बीजेपी भी देने से नहीं हिचकेगी, क्योंकि महाराष्ट्र में चल रही नॉन एनडीए सरकार में सबसे अधिक पीड़ित को है, तो वह बीजेपी है। हाल ही में देवेंद्र फडणवीस के 4 घंटे तक राज ठाकरे से मुलाकात इसके संकेत भी देते हैं।