यूपी में राज बब्बर पर फूट सकता है कांग्रेस की हार का ठीकरा, प्रियंका गांधी ने ठहराया जिम्मेदार!
नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भले ही इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन संगठन में उनकी सहयोगी प्रियंका गांधी वाड्रा का प्रमोशन ही होता दिख रहा है। पिछले कुछ समय से वो विदेश घूम रही थीं और अब लौटीं हैं, तो पार्टी में हार का हिसाब-किताब लगा रही हैं। इसके साथ उन्होंने यूपी में विधानसभा उपचुनावों से लेकर 2022 के चुनाव के लिए भी विचार-विमर्थ भी शुरू कर दिया है। लेकिन, सबसे बड़ी बात कि लोकसभा चुनाव के लगभग दो महीने बाद वो प्रदेश में पार्टी के बदतर प्रदर्शन के लिए अकेले राज बब्बर को जिम्मेदार ठहराने की फिराक में लग रही हैं।
राज बब्बर पर गिर सकती है गाज!
यूपी में जब कांग्रेस का इमरजेंसी के बाद से अबतक का सबसे बुरा प्रदर्शन सामने आया और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी खानदानी सीट भी नहीं बचा पाए, तो राज बब्बर ने पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश कर दी। अब जैसे-जैसे पार्टी के पास यूपी में कांग्रेस के प्रदर्शन का फीडबैक मिल रहा है, प्रियंका ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर पर निष्क्रियता का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रियंका ने उत्तर प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं, पूर्वी यूपी के तीनों पार्टी सचिवों और ज्योतिरादित्य सिंधिया (पश्चिमी यूपी के प्रभारी महासचिव) की मौजूदगी में राज बब्बर के बारे में कहा कि, 'उन्होंने प्रदेश में कुछ नहीं किया जिससे स्थिति और बदतर हो गई।' कांग्रेसी संस्कृति में किसी नेता के लिए किसी 'गांधी' के द्वारा ऐसा कहने का अंजाम क्या हो सकता है, इसकी सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
यूपी में हार के बाद प्रियंका का कद बढ़ा!
पहले ही बताया जा चुका है कि सिंधिया ने पश्चिमी यूपी के प्रभारी कांग्रेस महासचिव से इस्तीफे की पेशकश कर दी है, ऐसे में लगता है कि पूरे उत्तर प्रदेश को फिलहाल अकेले प्रियंका गांधी ने ही देखना शुरू कर दिया है। विदेश दौरे से लौटने के बाद उन्होंने अपने भैया राहुल गांधी के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले 12 तुगलक लेन में प्रदेश में पार्टी के भविष्य को लेकर जो बड़ी बैठक की उसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को राज्य में पार्टी संगठन की संरचना में सुधार का भरोसा दिलाया। यानी अब वह पूरे यूपी पर सीधा नजर रखने वाली हैं। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं से यूपी में हार का कारण और उसे ठीक करने की राय भी मांगी है।
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सभी 12 विधानसभा सीटों पर होगी एक कंवेनर की नियुक्ति
उत्तर प्रदेश की जिन 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां पार्टी बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं से लेकर ब्लॉक और सेक्टर स्तर तक तालमेल के लिए एक-एक कंवेनरों की नियुक्ति करेगी। ये कंवेनर जीत की रणनीति बनाने से लेकर उम्मीदवारों के चुनने तक में अपनी राय पार्टी की टॉप लीडरशिप या संभवत: प्रियंका गांधी तक पहुंचाएंगे। गौरतलब है कि विदेश जाने से पहले प्रियंका और सिंधिया अपने मातहत सचिवों को साथ लेकर प्रदेश के कई इलाकों में हार की वजहों को खुद से जानने की भी कोशिश कर चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की संभावना
सूत्रों का मानना है कि पार्टी 2022 के चुनाव के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने से पहले अपना होमवर्क पूरा करके रख लेना चाहती है। इसके लिए पार्टी सबसे पहले बूथ लेवल से लेकर ब्लॉक लेवल तक संगठन को नए सिरे से खड़ा करना चाहती है। इस दौरान प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की संभावना भी निश्चित लग रही है और हो सकता है कि कुछ नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारियां देकर मैदान में उतार दिया जाए।
पहली परीक्षा में नाकाम रहीं प्रियंका
प्रियंका गांधी वाड्रा को उनके भैया राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया था। उनके साथ ही राहुल ने अपने खास दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी पश्चिमी यूपी की कमान थमाई थी। लेकिन, कांग्रेस सिर्फ रायबरेली की सीट जीत सकी। यहां तक कि राहुल गांधी को भी अमेठी जैसे उनके पारिवारिक गढ़ में हार का सामना करना पड़ गया, जो प्रियंका की जिम्मेदारी वाली सीट थी। इसी के बाद सिंधिया ने तो इस्तीफा दे दिया, लेकिन प्रियंका का वैसा कोई इरादा लग नहीं रहा है और एक तरह से उनका कद बढ़ ही गया है।
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