CJI गोगोई ने पीएम मोदी से की जजों की संख्या और रिटायरमेंट एज बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली- भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने देश में लंबित पड़े केसों के निपटारे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। उन्होंने पीएम मोदी को लिखे अपने तीन खतों के जरिए सुप्रीम कोर्ट में जजों की निर्धारित संख्या बढ़ाने, हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की गुजारिश की है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री से प्राथमिकता के तौर पर दो संविधान संशोधनों का भी सुझाव दिया है। अपने तीसरे खत में उन्होंने वर्षों से लंबित पड़े केसों के निपटारे के लिए रिटायर्ड जजों की नियुक्ति की पुरानी परंपरा को फिर से बहाल करने का भी सुझाव दिया है।
31 से 37 हो सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या
सुप्रीम कोर्ट में अभी हाल ही में उसके निर्धारित 31 जजों की संख्या एक दशक के बाद पूरी हुई है। इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 58,669 केस लंबित हैं और रोजाना नए केस आने से इनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है। जस्टिस गोगोई ने पीएम मोदी को खत लिखकर बताया है कि 26 मामले 25 साल से लंबित हैं, 100 केस 20 साल से, 593 केस 15 साल से और 4,977 केस 10 वर्षों से लंबित हैं। गोगोई ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि 1988 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या 18 से बढ़ाकर 26 की गई थी। 2009 में चीफ जस्टिस समेत यह संख्या 31 कर दी गई थी, तब 2007 में सुप्रीम कोर्ट में 41,078 मामले लंबित थे, जो कि अब बढ़कर 58,669 हो गए हैं। चीफ जस्टिस ने प्रधामंत्री मोदी से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर प्राथमिकता से विचार करें, ताकि जनता को समय पर न्याय दिलाने का काम पूरी क्षमता और प्रभावशाली ढंग से किया जा सके। जस्टिस रंजन गोगोई के मुताबिक पिछले दशक में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस के लिए निर्धारित पदों की संख्या 895 से बढ़ाकर 1,079 की जा चुकी है, लेकिन उस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या का विस्तार नहीं किया गया है। अगर उस आधार पर सुप्रीम के जजों की संख्या बढ़ाई जाय तो यह मौजूदा 31 जजों से बढ़कर 37 हो जानी चाहिए।
हाईकोर्ट में जजों के 37% पद खाली
अपने दूसरे खत में सीजेआई ने प्रधानमंत्री से हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 वर्ष करने के लिए संविधान संशोधन लाने का सुझाव दिया है। उन्होंने लिखा है कि 24 हाईकोर्ट में 43 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। लेकिन, जजों की कमी के कारण इनका निपटारा नहीं हो पा रहा है। मौजूदा वक्त में हाईकोर्ट में जजों के 399 पद खाली हैं, जो कि उनकी कुल निर्धारित संख्या का 37 फीसदी है। उन्होंने ये भी जिक्र किया है कि सभी स्टेकहोल्डर्स के गंभीर प्रयासों के बावजूद सैंक्शन पोस्ट के मुताबिक मौजूदा हालातों में जजों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इसीलिए उन्होंने पीएम से आग्रह किया है कि हाईकोर्ट जजों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर इस संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वैसे स्टैंडिंग कमिटी ने हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 और सुप्रीम कोर्ट के जजों की 65 से 67 करने की सिफारिश की थी। लेकिन कानून मंत्रालय ने जनवरी में कहा था कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
रिटायर्ड जजों की भी हो नियुक्ति
अपने तीसरे पत्र में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की नियुक्ति की पुरानी परंपरा फिर से बहाल करने की भी सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों के लिए संविधान के आर्टिकल 128 में और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों के मामले में आर्टिकल 224 ए में इसकी व्यवस्था है। उन्होंने वर्षों से पेंडिंग केसों को इन जजों के हवाले करने का सुझाव भी दिया है।