52 साल तक संसद की कैंटीन चलाने के बाद अब खाना नहीं परोसेगा रेलवे, जानिए वजह
नई दिल्ली। संसद की कैंटीन में अब रेलवे का मेन्यू नहीं दिखाई देगा। जी हां, पिछले 52 वर्षों से संसद की कैंटीन को अपना भोजन उपलब्ध कराने वाले उत्तर रेलवे की विदाई वक्त आ गया है। 15 नवंबर, 2020 से अब भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) को पार्लियामेंट के कैंटीन की जिम्मेदारी दी गई है। लोकसभा सचिवालय के एक पत्र के माध्यम से उत्तर रेलवे के कर्मचारियों को उस सयम तक सामान समेटने के लिए कहा गया है। प्राप्त जनकारी के अनुसार रेलवे 1968 से संसद में खाना परोस रहा है।
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी किया गया पत्र
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा सचिवालय की ओर से उत्तर रेलवे के एक चिट्ठी भेज इस बात से अवगत कराया गया है। पत्र में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी चाहता है कि संसद भवन एस्टेट में खानपान इकाईयों का संचालन आईटीडीसी द्वारा 15 नवम्बर, 2020 तक अपने हाथों में ले लिया जाए। इसके अलावा पत्र में भोजन की गुणवत्ता का विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है। अब तक उत्तर रेलवे ही संसद भवन और उसके परिसर में मौजूद अन्य कार्यालयों में भोजन की सारी व्यवस्थाएं देखता रहा है।
क्या है ITDC
बता दें कि भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) भी सरकार विभाग है, जो टूरिज्म डिपार्टमेंट में काम के अलावा अशोक ग्रुप होटल का भी संचालन करता है। लोकसभा सचिवालय के पत्र में 15 नवंबर से संसद में भोजन की जिम्मेदारी ITDC को दिए जाने की बात कही गई है। पत्र में उत्तर रेलवे को जाने से पहले लोकसभा सचिवालय की ओर से मिले जरूरी सामानों को भी हैंडओवर करने को कहा गया है।
खाने की क्वालिटी को लेकर दिए गए निर्देश
बताया जा रहा है कि संसद भवन की कैंटीन संभालने के लिए पिछले साल ही नए वेंडरों की खोज शुरू कर दी गई थी। जो अब आईटीडीसी को सौंपा जा रहा है। भारत पर्यटन विकास निगम के मुताबिक लोकसभा सचिवालय के पत्र में उन्हें खाने की क्वालिटी पर विशेष रूप से ध्यान देने को कहा गया है, जो सांसदों और आम लोगों के लिए बेहतर हो। बता दें कि संसद सत्र के दौरान करीब पांच हजार लोगों के खानी की व्यवस्था की जाती है, रेलवे के मेन्यू में करीब 48 खाने के आइटम शामिल होते हैं।
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