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अब स्पेशल ट्रेन के लिए नहीं देना होगा मजदूरों को किराया, सरकार ने बताई वजह

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नई दिल्ली। दूसरे राज्‍यों में फंसे प्रवासी मजदूरों छात्रों और अन्‍य लोगों को श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन से भेज रहा है। लेकिन रेलवे की ओर से मजदूरों से किराया वसूलने की खबरें आ रही हैं। इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस बीच सोमवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के ज्‍वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने कहा कि मजदूरों को ट्रेन से भेजने का 85 फीसदी खर्च रेलवे और 15 फीसदी खर्च राज्‍य सरकारें वहन कर रही हैं। रेल मंत्रालय की ओर से इस पूरे मामले में सवालों के जवाब देने के लिए प्रतिनिधि मंगलवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करेंगे।

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रेल मंत्रालय की मंगलवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस

रेल मंत्रालय की मंगलवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस

स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि, हमने कभी भी किसी मजदूर से किराया लेने की बात नहीं कही। किराए का 85% केंद्र सरकार और 15% राज्य सरकार को वहन करना है। रेलवे और राज्य सरकारों ने आपस में विचार विमर्श करने के बाद ट्रेनें चलाने का फैसला किया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान सभी लोगों को वे जहां हैं, वहीं रहने की सलाह दी, लेकिन विशेष स्थिति में ट्रेनों को चलने की अनुमति दी।

 गृह मंत्रालय ने भी एक मई के अपने सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं

गृह मंत्रालय ने भी एक मई के अपने सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं

बता दें कि, गृह मंत्रालय ने भी एक मई के अपने सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं किया है, बल्कि उसने टिकट की बिक्री की बात कही है। टिकट बिक्री के बारे में गाइडलाइन रेल मंत्रालय जारी करेगा। रेलवे ने 2 मई को जारी आदेश के पॉइंट नंबर 11 में 'टिकट की बिक्री' टाइटल के तहत लिखा था कि, 'राज्य सरकारें जिन यात्रियों का चयन यात्रा के लिए करेंगी, उनको टिकट खुद सौपेंगी और बदले में उनसे किराया लेंगी। फिर सबसे एकत्र किया गया किराया रेलवे के पास जमा कराएंगी। लेटर में कहा गया है कि यह ट्रेन आम लोगों के लिए नहीं चलाई जा रही है बल्कि स्टेट जिसे चाहे इन ट्रेन में यात्रा कर सकता है।

इन राज्यों ने किया किराए का भुगतान

इन राज्यों ने किया किराए का भुगतान

सूत्रों ने बताया कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और राज्य ने टिकट का पूरा भुगतान किया है। राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं। जबकि महाराष्ट्र सरकार कुछ हिस्सा प्रवासी मजदूरों को देने के लिए कह रही थी। रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराए के ऊपर 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है।

सुब्रमण्यम स्वामी मोदी सरकार पर साधा निशाना

वहीं बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रेलवे के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, "यह कितना मूर्खतापूर्ण है कि सरकार भूखे मजदूरों से रेलवे का महंगा किराया वसूल रही है और विदेश से लोगों को मुफ्त लेकर आ रही है। अगर रेलवे ने इसकी जिम्मेदारी लेने से मना किया था तो PM केयर्स से इसका इंतजाम करना चाहिए। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने एक ट्वीट करके बताया, पीयूष गोयल के ऑफिस से बात हुई है। सरकार रेल किराया का 85 फीसदी देगी जबकि राज्य 15 फीसदी बोझ उठाएगा। प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना होगा। वो मुफ्त जाएंगे। मिनिस्ट्री इस मामले में औपचारिक बयान जारी करेगा।

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English summary
Railway fare row: 85 percent cost to be borne by Centre, 15 percent by state govts, says health ministry
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