रेलवे ने गुजरात से आने वाली रैक्स घटाई, मंहगा हो सकता है नमक!
राजकोट। भारतीय रेल ने गुजरात से देशभर में सप्लाई होने वाले कंटेनरों की संख्या में कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इसका असर आने वाले समय में नमक के दामों पर भी देखा जा सकता है। टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक रेलवे बोर्ड ने गुजरात से आने वाले कंटेनर की संख्या में कटौती करते हुए 150 कंटेनरों से 90 कर दी गई है। रेलवे के इस फैसले से देश भर में नमक की सप्लाई प्रभावित हो सकती है।
गुजरात हर साल 2.6 लाख टन नमक का उत्पादन करता है। इसमें से 80-90 फीसदी नमक एक्सपोर्ट कर दिया जाता है। जिसमें से 50 लाख टन नमक इस्तेमाल इंडस्ट्रियों में होता है और बाकी का इस्तेमाल खाने के लिए होता है। नमक उत्पादकों का कहना है कि आगे आने वाले समय में नमक के दामों में कृत्रिम बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।
हम नमक की गंभीर कमी हो सकती है
वहीं नमक के बड़े खरीदारों का मानना है कि 'हम नमक की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। यदि समय रहते स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो हमें दाम बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।' रेलवे बोर्ड ने पहले ही गुजरात के मैन्युफैक्चरर्स को गुजरात से आने वाले रैक की कमी की जानकारी दे दी थी। आपको बता दें कि पाटन, सुरेंद्रनगर और कच्छ जिलों आने वाली एक रैक में करीब 2500 टन नमक होता है।
गोदामों में हजारों टन नमक जमा
यह रैकें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड़ के अलावा देश के अन्य हिस्सों में सप्लाई होती है। इन तीन जिलों की गोदामों में हजारों टन नमक जमा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक 25000 टन नमक रैकों की अनुपलब्धता के कारण बेकार पड़ा हुआ है।
12,000 नमक श्रमिक इस उद्योग पर निर्भर
खराघोडा आयोडीन साल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हिंगोर देसाई ने कहा, 'हमारे पास नॉनट्रांस्पोर्टेड नमक का भंडारण करने की जगह नहीं है। दूसरी तरफ खरीदार डिलीवरी के लिए दबाव डाल रहे हैं। हम रेलवे को पांच रैक देने के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन रैंकों को अचानक बंद नहीं किया जाना चाहिए और उपलब्धता के अनुसार रैक प्रदान किया जाना चाहिए। गांधीधाम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस मुद्दे के बारे में रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है। गुजरात देश की आवश्यकता का 70% नमक उत्पादन करता है और लगभग 12,000 नमक श्रमिक आजीविका के लिए इस उद्योग पर निर्भर हैं।