लोकसभा में सोनिया के साथ बैठे दिखते थे राहुल, अब दूसरी पंक्ति में लेनी होगी जगह
नई दिल्ली- कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद अब लोकसभा में मौजूदा सीट भी छोड़नी पड़ जाएगी। लोकसभा स्पीकर के दफ्तर से सांसदों के बैठने का जो इंतजाम किया जा रहा है, उसके आधार पर राहुल का अब पहली पंक्ति में अपनी मां सोनिया गांधी की बगल वाली सीट पर बैठना मुश्किल है। हालांकि, लोकसभा में कांग्रेस के नेता होने के चलते सांसद अधीर रंजन चौधरी की पहली पंक्ति वाली सीट उन्हीं के पास रह सकती है।
पहली पंक्ति की सीट से हटेंगे राहुल
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक राहुल गांधी को फिर से लोकसभा में दूसरी कतार में ही जगह लेनी पड़ेगी। 17वीं लोकसभा में मौजूदा बजट सत्र के दौरान राहुल गांधी अबतक अपनी मां सोनिया गांधी के साथ पहली पंक्ति में ही बैठे नजर आते थे। लेकिन, अब जब लोकसभा स्पीकर के दफ्तर से सांसदों को बैठने की जगह निर्धारित की जा रही है, तो राहुल को पहली कतार की सीट छोड़नी पड़ सकती है। जानकारी के मुताबिक विपक्ष के लिए निर्धारित पहली पंक्ति की सीटों में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें आवंटित की गई हैं, जबकि तीसरी सीट दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी डीएमके को दिया गया है। यानी अब सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन के बाद वाली सीट पर डीएमके नेता टीआर बालू बैठेंगे। इसलिए, राहुल गांधी फिर से उसी दूसरी पंक्ति की सीट पर शिफ्ट हो जाएंगे, जहां वो 16वीं लोकसभा में बैठा करते थे।
इन विपक्षी नेताओं को मिली पहली पंक्ति में जगह
पहली पंक्ति में तीसरी और चौथी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी यानी तृणमूल काग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदन के नेता भी बैठेंगे। जबकि, वरिष्ठता एवं पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला को भी पहली कतार में जगह दी जा सकती है। इसके अलावा डिप्टी स्पीकर के बैठने के लिए भी पहली कतार में ही सीट निर्धारित रहती है। दरअसल, लोकसभा में सांसदों के बैठने के लिए स्पीकर ही जगह निर्धारित करते हैं, जो सदस्यों की वरिष्ठता और राजनीतिक दलों के सदस्यों की संख्या के आधार पर तय की जाती है। गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा में भारतीय राजनीति के कई दिग्गज अलग-अलग कारणों से पहली कतार से नदारद हो गए हैं। इसमें जेडीएस के एचडी देवगौड़ा और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव हार गए हैं। खड़गे की जगह ही अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस ने सदन का नेता बनाया है। जबकि, बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज भी पहली कतार में बैठते थे, लेकिन इसबार उन्होंने चुनाव ही नहीं लड़ा। इन सबके अलावा एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई भी पहली पंक्ति की सीट पर ही बैठते थे।
अधीर रंजन चौधरी की बढ़ सकती है जिम्मेदारी
कांग्रेस नेतृत्व अधीर रंजन चौधरी पर बहुत ही मेहरबान दिख रहा है। सोनिया की अध्यक्षता वाले कांग्रेस संसदीय दल ने संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी के चेयरमैन पद के लिए भी स्पीकर के पास अधीर रंजन चौधरी का ही नाम भेजा है। परंपरागत तौर पर पीएसी का अध्यक्ष विपक्ष का ही सांसद होता है, जिसकी एक मुख्य जिम्मेदारी सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा करने की होती है। स्पीकर इसपर सरकार और विपक्ष से सलाह के बाद कोई फैसला ले सकते हैं। कांग्रेस के पास पिछली लोकसभा में पीएसी के अलावा स्टैंडिंग कमिटी फाइनेंस और एक्सटर्नल अफेयर्स पर स्टैंडिंग कमिटी की अध्यक्षता भी थी। पार्टी ने इसी आधार पर इसबार भी अपना दावा ठोका है। एक्सटर्नल अफेयर्स की स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने शशि थरूर का नाम प्रस्तावित किया है। हालांकि, इन पदों के लिए दूसरी पार्टियों ने भी अपने सांसदों के नामों का प्रस्ताव भेजा है, जिसमें बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब का नाम भी शामिल है। स्पीकर के पास कुल 23 नाम आए हैं और यदि इनकी संख्या 15 से कम नहीं होती, तो इसके लिए चुनाव का भी सहारा लिया जा सकता है।
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