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क्या राहुल गांधी के बयान पर डैमेज कंट्रोल कर पाएगी कांग्रेस ?

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नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल के तिरुवनंतपुरम में उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों की सोच की तुलना वाला जो विवादित बयान दिया है, उसपर भाजपा ने तो उन्हें घेर ही लिया है, खुद कांग्रेस भी विभाजित नजर आ रही है। खासकर ग्रुप-23 के नेता भले ही खुलकर पूर्व अध्यक्ष के बयान की आलोचना नहीं कर पा रहे हों, लेकिन वह यह संकेत जरूर दे रहे हैं कि उन्होंने बेवजह पार्टी को एक नई मुसीबत में डाल दिया है। हो सकता है कि राहुल के सलाहकारों ने दक्षिण के तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें इस तरह के बयानों के लिए बहका दिया हो, लेकिन कहीं ना कहीं पार्टी के एक बड़े वर्ग को भी यह महसूस हो रहा है कि पार्टी के भविष्य की संभावनाओं में यह नए सिरे से पलीता लगाने का काम कर सकता है। वैसे आधिकारिक तौर पर हर बार की तरह इसबार भी कांग्रेस उन्हें बचाने की कोशिशों में जुट गई है।

राहुल के बयान पर उनके बचाव में जुटी कांग्रेस

राहुल के बयान पर उनके बचाव में जुटी कांग्रेस

मंगलवार को केरल में राहुल गांधी ने जो कुछ भी कहा था उसका सीधा जवाब देने की बजाय एआईसीसी के आधिकारिक प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला थोड़ा घुमा-फिराकर उनके बचाव की कोशिश करते दिख रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कहा, "राहुल गांधी ने सबसे सार्थक आह्वान इस देश के लिए किया कि देश में मुद्दों की राजनीति होनी चाहिए, राजनीति का मुद्दा नहीं। देश में राजनीति का धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं। देश में एकीकरण की राजनीति होनी चाहिए, तुष्टिकरण की नहीं। देश में प्रेम और सद्भाव की राजनीति होनी चाहिए, नफरत और बंटवारे की नहीं। परन्तु भारतीय जनता पार्टी ने इसमें भी उत्तर और दक्षिण के विभाजन का टूलकिट जारी कर दिया।" लेकिन, कांग्रेस की स्थिति ये हो चुकी है कि भाजपा को तो छोड़ दीजिए, इन दलीलों को पार्टी के नेता भी नहीं पचा पा रहे हैं।

राहुल के बयान पर ग्रुप-23 'हां में हां' मिलाने को तैयार नहीं!

राहुल के बयान पर ग्रुप-23 'हां में हां' मिलाने को तैयार नहीं!

कांग्रेस के कई बड़े नेता जैसे कि कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और संदीप दीक्षित राहुल की बातों पर पूरी तरह से हां में हां मिलाने को तैयार नहीं हैं। जैसे कि आनंद शर्मा ने कहा है कि, 'राहुल गांधी ने जो बातें भी कहीं हैं, शायद अपने निजी अनुभव के आधार पर कही होगी और देश के किसी हिस्से का अनादर या उसे बांटने के लिए नहीं। उन्होंने जिस भी संदर्भ में वह बात कही है, निश्चित तौर पर वह उसे स्पष्ट कर सकते हैं, ताकि कोई गलतफहमी ना रहे।' कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया तोड़ी ज्यादा स्पष्ट है, 'एक कांग्रेसी होने के नाते मैं देश के हर मतादाता का सम्मान करता हूं, इससे कोई मतलब नहीं है कि वह कहां का है। मैं उसके चुनने के अधिकार और बुद्धि का सम्मान करता हूं, जब भी वह अपने मताधिकार का इस्तेमाल करता है।' पार्टी के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने प्रतिक्रिया देने में ज्यादा साफगोई दिखाई है। उनका कहना हर जगह का वोटर अपने-अपने मुद्दे पर वोट देता है। हर जगह के अलग-अलग मुद्दे होतें है, इसलिए इनकी तुलना सही नहीं है।

यूपी-उत्तरखंड के कांग्रेसियों की बढ़ाई टेंशन!

यूपी-उत्तरखंड के कांग्रेसियों की बढ़ाई टेंशन!

पार्टी की दिक्कत ये है कि महीने-दो महीने में सिर्फ केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में ही चुनाव नहीं होने हैं, असम और पश्चिम बंगाल में भी उसे लड़ाई लड़नी है। बंगाल में भले ही कांग्रेस खुद को लड़ाई से बाहर महसूस कर रही हो, लेकिन असम में तो उसने सत्ता में वापसी की पूरी ताकत झोंक रखी है, जहां उसे मुकाबला भाजपा से ही करना है। दक्षिण भारत में राहुल के उत्तर भारत के मतदाताओं की बुद्धि पर सवाल करने वाला बयान कांग्रेस का अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर विधानसभा चुनावों तक पीछा कर सकता है। यही वजह है कि मुख्यतौर पर यूपी और उत्तराखंड में पार्टी के नेता उनके बयान से चिंतित नजर आने लगे हैं। क्योंकि, उन्हें लग रहा है कि बिना वजह के भाजपा को हाथों-हाथ एक मुद्दा हाथ लग गया है। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल ने केरल में कहा था 'पहले 15 साल तक मैं उत्तर (भारत)से सांसद था। वहां मैं एक अलग तरह की राजनीति में ढल गया था। केरल आने का अनुभव मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा, मैंने यहां अचानक पाया कि लोग मुद्दों में दिलचस्पी रखते हैं और सतही जानकारी नहीं रखते हैं, बल्कि उसके विस्तार में जाते हैं।'

भाजपा ने हाथों-हाथ लिया है राहुल के बयान वाला मुद्दा

भाजपा ने हाथों-हाथ लिया है राहुल के बयान वाला मुद्दा

इस बयान पर उन्हें घेरने का भाजपा कोई मौका नहीं छोड़ रही है। यूपी की अमेठी में उन्हें हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तो उन्हें 'एहसान फरामोश' तक कह दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि,'मैं दक्षिण भारत से हूं। मैं पश्चिम के एक राज्य से सांसद हूं। मैं उत्तर में जन्मा, शिक्षा पाई और काम किया। मैं विश्व में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं। भारत एक है। किसी भी क्षेत्र को नीचा ना बताएं, ना हमें विभाजित करें।' उत्तर प्रदेश में राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी को फिर से जीवित करने के लिए गंगा में भी डुबकियां लगाने लगी हैं। कुल मिलाकर भाजपा का इरादा साफ नजर आ रहा है। वह इस मुद्दे को आसानी से छोड़ेगी नहीं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा है 'राहुल जी, अटल जी ने कहा था कि भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। कृप्या आप अपनी ओछी राजनीति की पूर्ति के लिए इसे क्षेत्रवाद की तलवार से काटने की कोशिश ना करें। भारत एक था, एक है और एक रहेगा।' वहीं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है, 'उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम....राहुल गांधी आप कहीं भी जाएं, आपको हर जगह भारतीयों को सतही पाएंगे। क्योंकि, हमें समझने के लिए आपको पहले भारतीय बनना होगा। '

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English summary
Rahul Gandhi statement controversy:Rahul Gandhi badly trapped by calling North Indian voters' intelligence as superficial, it becomes difficult for the party to control damage
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