'चौकीदार चोर है' बयान पर राहुल गांधी की बढ़ सकती है मुसीबत !
प्रीम कोर्ट जल्द ही कांग्रेसी राहुल गांधी के चौकीदार चोर है बयान पर फैसला सुनाएंगा। इस फैसले से क्या बढ़ेगी राहुल गांधी की मुसीबत?
बेंगलुरु। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए लंबा अरसा बीत चुका है लेकिन उनकी भाजपा के खिलाफ बयानबाजी अभी भी जारी है। लेकिन राहुल गांधी द्वारा दिया गया एक पुराना बयान जल्द ही उनकी नींद उड़ा सकता हैं, क्योंकि उनके 'चौकीदार चोर है' के बयान पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना फैसला सुनाने वाली है। याद रहे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसके पहले वह अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाएंगे साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण मामलो में फैसला सुनाने वाले हैं जिनमें यह केस भी शामिल हैं।
बता दें लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में बयान दिया था कि देश का चौकीदार चोर हैं। राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार पर राफेल डील में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। गौरतलब हैं कि प्रधानमंत्री ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए स्वयं को देश का चौकीदार बताया था। जिसके कुछ दिनों बाद लोकसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने चुनावी रैली में जोश में आकर बयान दिया कि चौकीदार चोर हैं।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद नई दिल्ली की सांसद और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने कोर्ट में अवमानना के तहत राहुल के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि एक राष्ट्रीय स्तर की राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष को देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह का शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। कोर्ट में इस केस के फाइल होते ही कांग्रेस अध्यक्ष ने कोर्ट में बिना शर्त के माफी मांगने के साथ हलफनामा दाखिल किया था। जिसमें कोर्ट से अपील की थी कि कोर्ट में उनके खिलाफ चल रहे इस केस को बंद कर दिया जाए।
अपने इस बयान के लिए राहुल गांधी ने कोर्ट में दो बार खेद व्यक्त करने के बाद लिखित हलफनामा देकर माफी मांगी थी। राहुल गांधी का बयान अब सुप्रीम कोर्ट ने भी चौकीदार चोर है मान लिया है। इस पर राहुल गांधी ने कोर्ट में दिए गए अपने माफीनामे में लिखा था कि उनकी मंशा कोर्ट का अपमान करने की नहीं थी। उन्होंने जानबूझ कर ऐसा नही किया है। इतना ही नही उन्होंने तीन पेज के माफीनामे में लिखा कि वह न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचाना चाहते हैं। उनसे ये गलती भूलवश हो गई।
भाजपा नेता मीनाक्षी की ओर से यह केस लड़ रहे वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि राहुल गांधी ने माफी मांगने देर की। इसलिए माफी स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने केस में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि देर से माफी स्वीकार नही की जा सकती। इसलिए राहुल गांधी के कार्रवाई करते हुए सजा दी जाए या तो जेल भेजा जाए। या फिर राहुल गांधी को पेनाल्टी की सजा सुनाई जाए। यही नहीं वकील ने मांग की कि राहुल ने जनता के बीच में यह बयान दिया था इसलिए उन्हें जनता के बीच जाकर माफी मांगनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट से दो बार डांट खाने के बाद अंत में राहुल ने तीसरा हलफनामा दाखिल कर अपने बयान पर कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी।
राफेल डील से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर राहुल गांधी द्वारा टिप्पणी किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी। कोर्ट ने राहुल से सवाल किया था कि हमने तो किसी फैसले में नहीं कहा कि 'चौकीदार चोर है', आपने ये हमारे नाम से कैसे इस्तेमाल किया? इसके बाद राहुल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। कोर्ट में राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 'मैंने तीन गलती की थीं और मैं इनके लिए माफी मांगता हूं, सुप्रीम कोर्ट के हवाले से मैंने जो कहा वो गलत था। सिंघवी की इस दलील से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और कोर्ट ने पूछा कि आपकी ये माफी आपके एफिडेविट से क्यों जाहिर नहीं हो रही है। इसके बाद सिंघवी ने कहा कि हम एक नया एफिडेविट फाइल करना चाहते हैं, जिस पर कोर्ट ने इस पर सहमति दे दी थी। उसके बाद ही राहुल की तरफ से नया एफिडेविट दाखिल किया गया था।
याद रहे कि कांग्रेस पार्टी के कई नेता महसूस कर रहे थे कि मोदी शासन के तहत आर्थिक संकट के बाद नोटबंदी /जीएसटी, कृषि संकट, बेरोजगारी और सामाजिक संघर्ष को मुख्य मुद्दा बनाया जाना चाहिए था, वहीं राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान केवल राफेल डील को ही मुद्दा बनाया। राहुल का 'चौकीदार चोर है' नारा भी काम नहीं आया, क्योंकि इसे बालाकोट जैसे फैसले ने धुंधला कर दिया। वहीं सत्तारुढ़ भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी के इस बयान के बाद मैं देश का चौकीदार हूं की मुहीम छेड़ दी। जिसका लाभ भाजपा को खूब हुआ। भाजपा की चलायी यह मुहिम सोशल मीडिया पर छायी रही। भाजपा के सर्मथकों, वोटरों ने अपना प्रोफाइल ही मैं हूं देश का चौकीदार ही बना लिया।
गौरतलब है कि रहे कि जल्द ही राफेल विमान सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी पुनर्विचार याचिका पर जल्द फैसला आने की संभावना है। जनहित याचिका में शीर्ष कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ यह पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। इस फैसले का सबको बेसब्री से इंतजार है। भारतीय वायुसेना को मजबूती देने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल के दौरान एनडीए सरकार में विमान खरीदी का प्रस्ताव आया था, लेकिन 2007 में यूपीए सरकार ने विमान खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कुछ शर्तो पर बात न बन पाने के कारण यूपीए सरकार में विमानों की खरीद नहीं की गई थी। इसके बाद साल 2015 में एनडीए की सरकार आते ही पीएम मोदी ने 36 राफेल विमान खरीदी को मंजूरी दे दी। इस विमान खरीदी में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कांग्रेस हमलावर हुई थी और शीर्ष कोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई थी।
पीएम मोदी ने साल 2015 में फ्रांस से पूरी तरह से तैयार 36 राफेल विमानों के नए सौदे की घोषणा की थी। इसके बाद 26 जनवरी 2016 को भारत और फ्रांस ने 26 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए एग्रीमेंट साइन किए। इसके पूर्व डील की राशि को लेकर भी दोनों देशों के बीच कई बार बैठक हुई थी। लेकिन बात नहीं बनी।मोदी सरकार द्वारा फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर सौदा हुआ। संसद में मोदी सरकार की ओर से एक राफेल विमान की कीमत को 570 करोड़ बताया गया। लेकिन बाद में कांग्रेस ने इसकी कीमत पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार को जमकर घेरा। तत्कालीन कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक विमान की कीमत 15 सौ करोड़ से ज्यादा की बताई। वहीं कांग्रेस की ओर से दावा तक किया गया कि इस सौदे में देश को 12 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है।