Sonia Gandhi सिर्फ मुखौटा हैं, अब इस भूमिका में नजर आएंगे राहुल गांधी
बंगलुरू। करीब 20 माह तक बतौर कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अब सड़क पर उतरकर लोगों से मिल रहे हैं। पारंपरिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्ति के बाद उन्हें छुट्टी मनाने लंदन या इटली चले जाना चाहिए था, लेकिन राहुल गांधी कहीं नहीं गए, बल्कि वायनाड में बाढ़ पीड़ित लोगों से मिल रहे हैं, उनके दुख दर्द को सुन रहे हैं। यही नहीं, राहुल गांधी अब ज्यादा मुखर हो रहे हैं और सरकार के ऊपर ज्यादा तीखे तरीके से हमला कर रहे हैं।
कुछ समझ में आया? जी हां, राहुल गांधी बदले-बदले और संभले-संभले से नज़र आ रहे हैं। 72 वर्ष की उम्र में सोनिया गांधी का अंतिरम अध्यक्ष बनाया जाना इसी बात का संकेत है कि राहुल गांधी बिना अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे सरकार के खिलाफ विपक्ष समेत कांग्रेस की लड़ाई लड़ेंगे और सोनिया गांधी कुर्सी पर बैठकर जिम्मेदारी लेंगी।
याद कीजिए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के मोदी सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष चुनी गई सोनिया गांधी का एक भी बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव मुखर होकर बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं और लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं।
पिछले 20 माह के अंतराल में बहुत कम ऐसा समय आया था जब कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी किसी भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर तुरंत बयान देने के लिए मीडिया से सामने चले गए हों, लेकिन यह बात दिलचस्प है कि राहुल गांधी को जम्मू-कश्मीर समेत अन्य मुद्दों पर न केवल मीडिया को लगातार बयान दे रहे हैं बल्कि जमीन पर उतरकर मीडिया के सवालों को जवाब छाए हुए हैं।
ऐसे कयास हैं कि राहुल गांधी का कांग्रेस पार्टी में अभी भूमिका भले ही परिभाषित नहीं की गई है, लेकिन उन्हें कांग्रेस पार्टी का सर्वसर्वा कहा जा सकता है और सोनिया गांधी को अंतिरम अध्यक्ष बनाकर बेटे राहुल गांधी का टेककेयर बना दिया है। बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी को मुख्य चेहरा बनाए रखने के लिए किए गए पार्टी ने यह रणनीतिक बदलाव किया है। इससे राहुल गांधी दवाब में कम रहेंगे और बीजेपी के खिलाफ कैंपेन भी चला पाएंगे।
गौरतलब है सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतिरम अध्यक्ष चुने जाने से पहले खुद सोनिया गांधी ने भी राहुल गांधी और खुद को अध्यक्ष पद की रेस से बाहर बताया था, लेकिन 12 घंटे तक चली माथापच्ची के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए किसी एक नाम पर सहमित नहीं बन सकी है और एकाएक करीब 11 बजे रात में सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी गई है।
सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा के लिए बुलाए गए प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेसी आलाकमान ने सोनिया गांधी को अंतिरम अध्यक्ष चुनने के पीछे दलील दिया था कि तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कमेटी ने सोनिया गांधी को चुना है। कांग्रेस की यह भी दलील थी कि गांधी परिवार से इतर अध्यक्ष चुनने पर पार्टी के बिखरने का खतरा था।
ऐसी संभावना है कि पार्टी में बिना कोई पद संभाले ही आगामी तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी पार्टी के लिए कैंपेन करते हुए नजर आ सकते हैं और अगर उनकी पार्टी तीनों में से किसी राज्यों में बढ़त हासिल करने में सफल होती है तो श्रेय राहुल गांधी को चेहरे को दिया जाएगा और पार्टी के संभावित हार के लिए प्रचलित बहाना ढ़ूंढ लिया जाएगा।
सोनिया गांधी को राहुल गांधी के आगे रखकर कांग्रेस राहुल गांधी की छवि को जमीन पर चमकाना चाहती है, जो दोनों ही सूरत में राहुल गांधी के लिए नुकसानदेह नहीं होगा। मसलन पार्टी हारती है तो कांग्रेस पार्टी जवाब देगी और पार्टी जीतती है तो राहुल गांधी की छवि चमकाने में पार्टी नहीं चूकेगी। क्योंकि कांग्रेस पार्टी की मुखिया बनाई गई 72 वर्षीय सोनिया गांधी पार्टी के लिए कितना समय पार्टी को दे पाएंगी, यह समझना आसान है।
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