राहुल गांधी ने खुला खत लिख किसानों को दी बधाई, पीएम मोदी को कहा- फिर ना करना ऐसा दुस्साहस
राहुल गांधी ने खुला खत लिख किसानों को दी बधाई, पीएम मोदी को कहा- फिर ना करना ऐसा दुस्साहस
नई दिल्ली, 19 नवंबर: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने किसानों के नाम खुला खत लिखा है। इस खत को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का ऐलान किए जाने के संदर्भ में लिखा है। राहुल ने इसे किसानों के आंदोलन की जीत बताते हु्ए उनको बधाई दी है। साथ ही दूसरे मुद्दों को लेकर संघर्ष जारी रखने की बात कही है। राहुल गांधी ने इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर कभी इस तरह से कोई कानून ना लाने को भी कहा है।
आंदोलन की ऐसी मिसाल नहीं मिलती
राहुल गांधी ने इस खत को 'किसान-मजदूर भाई-बहनों को मेरा शुभकामना पत्र' कहते हुए शेयर किया है। इसमें उन्होंने लिखा है- आपके (किसान) तप, संघर्ष और बलिदान के दम पर मिली ऐतिहासिक जीत की बहुत-बहुत बधाई। 12 महीने से ठिठुरती ठंड, गर्मी, बरसात और तमाम परेशानियों के बावजूद तीनों काले कानूनों को खत्म कराने का जो सत्याग्रह आपने जीता है, उसकी दूसरी मिसाल आजाद भारत में नहीं मिलती। मैं आपके इस संघर्ष में 700 से अधिक किसान भाई-बहनों की कुर्बानी के लिए नतमस्तक हूं।
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तानाशाह से लड़े हैं आप
राहुल ने आगे लिखा- एक तानाशाह शासक के अहंकार से लड़ते हुए जिस गांधीवादी तरीके से आपने उन्हें फैसला वापस लेने को मजबूर किया, यह असत्य पर सत्य की विजय का उदाहरण है। आज के इस ऐतिहासिक दिन हम उन शहीद किसान-मजदूर भाई-बहनों को याद करते हैं, जिन्होंने अपनी जान का बलिदान देकर इस सत्याग्रह को मजबूत किया। अगर केंद्र सरकार ने शुरू ही में किसानों की मांगों पर ध्यान दिया होता तो ये नौबत ही ना आती।
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अभी संघर्ष बाकी है
कांग्रेस नेता राहुल ने आगे लिखा- साथियों, संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। कृषि उपज का लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, बिजली संशोधन कानून खत्म हो, खेती में इस्तेमाल होने वाली हर चीज पर टैक्स का बोझ घटे, डीजल के दामों में कमी हो और खेत-मजदूर पर कमरतोड़ कर्ज के बोझ का हल निकालना खेतिहर किसान के संघर्ष के गंभीर विषय हैं। मैं आप सबको भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में भी आपके सभी जायज संघर्षों में मैं और कांग्रेस पार्टी आपके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होगी।
पीएम को कहा- फिर ऐसा ना करना
राहुल गांधी ने कहा, मैं प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि किसान अपना फायदा और नुकसान सबसे बेहतर समझता है। चंद पूंजीपतियों के हाथ में खेलकर किसान को अपने ही खेत-खलिहान में गुलाम बनाने की साजिश कर उसे सही साबित करने का दोबारा दुस्साहस ना करें।