लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल ने की इस्तीफे की पेशकश, कल कांग्रेस का महामंथन
लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल ने की इस्तीफे की पेशकश,कल होगा महामंथन
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद कांग्रेस में इस्तीफे का दौर जारी है। कांग्रेस नेता राज बब्बर ने यूपी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस में पार्टी की वजहों को लेकर महामंथन का दौर जारी है। शनिवार को कांग्रेस का महामंथन होने जा रहा है। पार्टी के इस महामंथन से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है। सूत्रों की मानें तो शनिवार को होने वाली इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि कांग्रेस नेता रणदीप सुरेजवाला ने इन खबरों का खंडन किया है।
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कांग्रेस में इस्तीफे का दौर जारी
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के हार के बाद इस्तीफे का दौर जारी है। यूपी कांग्रेस चीफ राज बब्बर ने भी अपना इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया है। वहीं राहुल गांधी ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। पार्टी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है। शनिवार को होने वाली बैठक में राहुल गांधी अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। राहुल गांधी वर्किंग कमिटी में अपना इस्तीफा दे सकते हैं। कांग्रेस के करीबी सूत्रों के मुताबिक राहुल ने गुरुवार को ही पार्टी की हार के बाद इस्तीफे की पेशकश कर दी थी, लेकिन चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने राहुल को इस्तीफा देने से रोक दिया।
राहुल ने स्वीकार की हार
राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट अमेठी भी हार गए। जबकि केरल की वायनाड सीट से उन्होंने करीब चार लाख मतों से जीत हासिल की। गुरुवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद राहुल गांधी ने हार स्वीकार करते हुए पीएम मोदी और बीजेपी को बड़ी जीत पर बधाई दी। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि हमारे प्रत्याशियों ने बड़े हौसल के साथ यह चुनाव लड़ा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने जनता के फैसले का स्वागत किया। राहुल गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट पर हार स्वीकार की और स्मृति ईरानी को जीत के लिए बधाई दी।
बीजेपी की प्रचंड जीत
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की आंधी में सारे विपक्षी दल गायब हो गए। एनडीए ने 542 में से 350 सीटें जीतकर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। हालत यह है कि इस बार भी लोकसभा में कोई भी मुख्य विपक्षी दल नहीं बन सका। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 49 सीटों पर सिमट गई। महागठबंधन भी मोदी की सूनामी को रोक नहीं सका।