फिर मुश्किल में राहुल गांधी, फिर खुलेगी यंग इंडियन केस की फाइल!
बेंगलुरू। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रॉफेल डील मामले में हुई बड़ी फजीहत के बाद मुसीबत अभी भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। आयकर ट्रिब्यूनल ने एक ओर जहां यंग इंडियन कंपनी को चैरिटलबेल संस्था मानने से इनकार कर दिया है, जो राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि अब आयकर विभाग राहुल गांधी के खिलाफ 100 करोड़ रुपए का केस फिर ओपेन करेगा।
दूसरे, आज बीजेपी पूरे देश में राहुल गांधी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में रॉफेल विमान सौदे को लेकर आरोपों को लेकर माफी मांग चुके राहुल गांधी को बीजेपी घेरने की कोशिश करेगी। बीजेपी प्रदर्शन के दौरान राहुल गांधी से रॉफेल मामले में देश से झूठ बोलने और चौकीदार चोर है नारों के जरिए प्रधानमंत्री को लांछित करने के लिए माफी मांगने की अपील करेगी।
गौरतलब है गुरूवार, 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरी बार राफेल विमान सौदे मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दी है। कई उद्धरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि देश की सुरक्षा अहम है, इसमें निर्णय लेने में कोताही नहीं होनी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान की कीमत पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह जरूर कहा कि सेब और संतरे की तुलना नहीं होनी चाहिए।
राहुल गांधी के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन की तैयारी कर चुकी बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी को पूरे देश से राफेल मामले पर भ्रम फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि राहुल गांधी न सिर्फ झूठ की राजनीति करते हैं बल्कि लोगों को भ्रमित कर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश भी की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल गांधी को चेतावनी दी है और उन्हें रॉफेल मामले पर झूठ के लिए बाकायदा तीन पन्नों का माफीनामा भी लिखना पड़ा है।
वहीं, आयकर ट्रिब्यूनल से भी राहुल गांधी को मुंह की खानी पड़ी है, क्योंकि आयकर ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को राहुल गांधी की यंग इंडियन को चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने की अर्जी को खारिज कर दिया और यह साफ कर दिया कि यंग इंडिया एक वाणिज्यिक संगठन है। ट्रिब्यूनल के मुताबिक यंग इंडियन की ओर अभी तक ऐसा कोई काम नहीं किया गया, जो चैरिटबल श्रेणी में आता हो।
ट्रिब्यूनल के मुताबिक एजेएल को अधिग्रहित करने का मकसद नहीं पूरा किया गया, क्योंकि अभी भी एजेएल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही नियंत्रित करते हैं, जिसमें गांधी परिवार शामिल है। आयकर ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद अब यंग इंडियन को चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने की अर्जी खारिज हो गई है, जिससे राहुल गांधी के खिलाफ 100 करोड़ का आयकर केस फिर से खुलना तय है।
उल्लेखनीय है यंग इंडियन संगठन समूह अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड और हिंदी में नवजीवन न्यूजपेपर निकालती है, जिसका नियंत्रण कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथ में हैं। आरोप है कि गांधी परिवार नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है, जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं।
दरअसल, अगस्त, 2015 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एजेएल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में आरोप पत्र दायर किया था। पीएमएलए के तहत जांच में पता चला कि हरियाणा के पंचकूला में एक प्लॉट को एजेएल को साल 1982 में आवंटित किया गया, लेकिन इसे एस्टेट अधिकारी एचयूडीए ने 30 अक्टूबर 1992 को वापस ले लिया, क्योंकि एजेएल ने आवंटनपत्र की शर्तों का पालन नहीं किया। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर 2016 में पीएमएलए शिकायत दर्ज की थी।
ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर साल 2016 में पीएमएलए के तहत शिकायत दर्ज की थी। इसी साल जनवरी में इस मामले में इनकम टैक्स विभाग ने सोनिया गांधी और राहुल को 100 करोड़ का टैक्स नोटिस भेजा था। यह नोटिस एजेएल से संबंधित उनकी आय के पुनर्मूल्यांकन के बाद आयकर विभाग ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को भेजा गया था।
इस आरोप को लेकर वर्ष 2012 में सबसे पहले बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी कोर्ट गए और लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश दिया और वर्ष 2015 में राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत सभी अभियुक्त कोर्ट में पेश हुए थे, जहां उन्हें जमानत मिल गई थी।
मालूम हो, कांग्रेस ने वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट में बताया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड एक गैर-लाभकारी कंपनी है, लेकिन यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का एक वाणिज्यिक कंपनी की तरह व्यवहार कर रही थी। आयकर ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि कांग्रेस पार्टी ने यंग इंडियन को लोन दिया था, जिससे उसने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के साथ मिलकर बिजनेस किया था।
यही वजह है कि अब यंग इंडिया के निदेशक राहुल गांधी और सोनिया गांधी को इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म हो सकती है, क्योंकि उसने इन कंपनियों को मदद करके नियमों का उल्लंघन किया है।
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यंग इंडिया के खिलाफ बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने खोला मोर्चा
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड की धोखाधड़ी के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की 2 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। कांग्रेस ने पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ रुपए का ऋण दिया। इसके बाद पचास लाख रुपए से यंग इंडियन कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
यंग इंडियन को मुफ्त में मिला एजेएल का स्वामित्व?
यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में शेष हिस्सेदार कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस बनाए गए, जिसके बाद 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का ऋण चुकाना था। यानी 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर हासिल कर लिए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में 2000 करोड़ रुपए की संपति वाली एजेएल का स्वामित्व मिल गया।
सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर 26 जून, 2015 को जारी हुआ समन
इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा और सुमन दुबे सहित 6 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। निचली अदालत ने 26 जून को सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर समन जारी किए थे। इसके बाद सोनिया और राहुल के वकील ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने में छूट और समन रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे 8 दिसम्बर 2015 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ठुकरा दिया और सभी अभियुक्तों को 19 दिसम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश किया था।
कोर्ट ने माना यंग इंडियन की कार्यप्रणाली आपराधिक मंशा का सबूत देती है
न्यायाधीश ने 27 पेज के आदेश में कहा कि पूरे मामले पर उसके व्यवस्थित परिप्रेक्ष्य में विचार करने के बाद अदालत को इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई संकोच नहीं कि ‘यंग इंडियन लिमिटेड' (वाईआईएल) के जरिये ‘एसोसिएटिड जरनर्ल्स लिमिटेड' (एजेएल) पर नियंत्रण हासिल करने में याचिकाकर्ताओं द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली आपराधिक मंशा का सबूत देती है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी, एजेएल और वाईआईएल के मुख्य लोग समान हैं। न्यायाधीश ने कहा कि बहरहाल, किसी भी सूरत में यह नहीं कहा जा सकता है कि संबंधित शिकायत के आरोपी के तौर पर याचिकाकर्ताओं को तलब करने के लिए कोई मामला नहीं बनता।
कोर्ट में सोनिया और राहुल समेत सभी अभियुक्त पेश हुए
कोर्ट के मुताबिक सच जानने के लिए याचिकाकर्ताओं के संदिग्ध आचरण पर आरोप के चरण में उचित तरीके से जांच की जरूरत है और इसलिए इन आपराधिक कार्यवाहियों को इस शुरूआती चरण में निरस्त नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश ने यह भी राय व्यक्त की थी कि याचिकाकर्ताओं (सोनिया, राहुल और अन्य) पर लगे आरोपों की गंभीरता में एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से जुड़ा धोखाधड़ी का आभास होता है और इसलिए याचिकाकर्ताओं पर लगे गंभीर आरोपों पर उचित तरीके से गौर किये जाने की जरूरत है। अन्ततः 19 दिसम्बर, 2015 को सोनिया और राहुल सहित सभी अभियुक्त (साम पित्रोदा को छोड़कर) न्यायालय में हाजिर हुए, जिन्हें जमानत पर छोड़ते हुए कोर्ट ने दोबारा 20 फरवरी 2015 को हाजिर होने को कहा था।
यंग इंडियन में सोनिया गांधी-राहुल गांधी की 76 फीसदी हिस्सेदारी
आरोप है कि यंग इंडियन में 38-38 फीसदी हिस्सेदार के मालिक राहुल गांधी सोनिया गांधी और अन्य ने मिलकर साजिश रची थी और यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाई गई, जिसने नेशनल हेराल्ड की पब्लिशर एजेएल को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद एजेएल को 50 लाख रुपए देकर यंग इंडियन लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का अधिकार ले लिया गया।
नेशनल हेरल्ड के साथ हिंदी और उर्दू न्यूजपेपर छापती थी एजेएल
नेशनल हेरल्ड अख़बार की स्थापना 1938 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी। कांग्रेस का मुखपत्र का मालिकाना हक़ एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी 'एजेएल' नेशनल हेरल्ड के अलावा हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़' नाम से दो और अख़बार भी छापती थी। आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को अव्यवसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया।
50 लाख में 2000 करोड़ की मालिक बन गई यंग इंडिया
भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है. याचिका में आरोप है कि 50 लाख रुपए में नई कंपनी बना कर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई।
वर्ष 2008 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनी
वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का क़र्ज़ भी चढ़ गया। फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया।