कहां चूके छोटे मियां, क्या गलती कर बैठे बड़े मियां, पढ़ें, मोदी-राहुल के गले मिलन में छिपे ट्विस्ट एंड टर्न
नई दिल्ली। क्या किसी से गले लगना बुरी बात है? इस सवाल का एक ही जवाब है- बिल्कुल नहीं। क्या किसी के गले पड़ना बुरी बात है? इस सवाल का जवाब में ज्यादातर लोग कहेंगे हां बुरी बात है। शुक्रवार को लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी की सीट पर जाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने करीब-करीब जबरन उन्हें गले लगा डाला। कांग्रेस समर्थक इसे महफिल लूटने वाला एक्ट बता रहे हैं तो बीजेपी बचकाना हरकत की संज्ञा दे रही है। अब सही कौन है? राहुल गांधी वाकई गले मिले या पीएम मोदी के कहे अनुसार वह गले पड़े? तो जवाब है राहुल गांधी गले तो मिले, लेकिन गले पड़ने वाले अंदाज में मिले। गलती उनसे हुई, एक नहीं दो-दो बार हुई। या यूं कहें तो जानबूझकर की, एक तो जबरन गले जा मिले और ऊपर से आंख भी मार दी और आंख मारी तो मारी पर रंगे हाथों कॉट ऑन कैमरा भी हो गए।
पीएम नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की हर गलती पर मंझे हुए राजनेता की तरह चुटकी लेने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी। तो क्या सारी गलती राहुल गांधी की ही है? पीएम मोदी ने एकदम उचित आचरण किया? जवाब है- बिल्कुल नहीं। माना कि राहुल गांधी पॉलिटिकल स्टंट करने के लिए मोदी के पास आए थे। उन्हें खुद की छवि चमकाने के लिए इतना हल्का स्टंट नहीं करना चाहिए था। लेकिन पीएम मोदी को भी चाहिए था कि जब राहुल गांधी आए तो उन्हें खुद ही प्यार से कांग्रेस अध्यक्ष को गले लगाकर बड़प्पन का संदेश देना चाहिए था। राजनीतिक विरोधी के तौर पर राहुल और मोदी दोनों ने एक-दूसरे पर तंज कसे, इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन विपक्षी आपकी सीट पर चलकर आया है तो प्रधानमंत्री को भी आगे बढ़कर उन्हें गले लगा लेना चाहिए था।
''गले मिलन'' में छिपे ट्विस्ट एंड टर्न
- वीडियो देखने पर स्पष्ट आभास हो रहा है कि राहुल जब उनके करीब आए तब शुरुआत में पीएम मोदी थोड़े तल्ख थे, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ राहुल गांधी से कहीं ज्यादा है, इसलिए वह कैमरे में कैद हो रहे उस क्षण को भांप गए।
- ''गले मिलन'' के दौरान तल्खी का आभास होते ही पीएम मोदी ने राहुल को वापस बुलाया और पीठ पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए कुछ कहा।
- पीएम मोदी ने राहुल गांधी को वापस बुलाकर कैमरे मुस्कान दर्ज कराकर थोड़ा कवर-अप जरूर किया।
- दूसरी ओर राहुल गांधी गले मिलने के बाद सीट पर बैठे और कॉलेज के लड़कों की तरह खुद ''स्मार्टनेस'' का आंख माकर सेलेब्रेशन किया। वह इस बात को नहीं समझ सके कि कैमरा उन्हीं ठीक उसी प्रकार से देख रहा था जैसे अर्जुन की नजर मछली की आंख पर थी।
- आप अगर गुजरात चुनाव की रैलियों को याद करें तो मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच कहा था। इस बयान पर मचे बवाल के बीच राहुल गांधी गुजरात गए थे। वहां उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच बड़े ही सुसंस्कृत तरीके से कांग्रेसियों को प्यार करने की सलाह दी थी। राहुल ने कहा था, ''हम उनके गुस्से का जवाब प्यार देंगे''।
- अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल जानते थे कि मौका बड़ा है, इसी मौके को भुनाने के लिए वह पीएम मोदी के पास पहुंचे थे, ताकि संदेश जाए की कांग्रेस प्यार की राजनीति करती है और बीजेपी नफरत की। स्ट्रेटिटिजी अच्छी थी, पर इम्लीमेंटेशन में जरा भूल हो गई।
- बेहतर होता कि राहुल गांधी अपने भाषण से पहले पीएम मोदी के पास जाते और छोटे होने के नाते उनसे आशीर्वाद मांगते। यह एक स्वीट जेस्चर होता। लेकिन गुस्से से भरे भाषण में निजी आरोपों की लाइन लगाने के बाद गले मिलने समझदारी नहीं थी।
- राहुल गांधी का भाषण पूरी तरह निजी हमलों से भरा था। आंख में आंख डालकर बात करने की बात तो कुछ ज्यादा बॉलवुडिया हो गई। आखिरकार मोदी देश के पीएम हैं और ऐसी भी कोई चोरी अभी तक सामने आई है कि उन्हें आंख में डालकर जवाब देने में दिक्कत हो।
- राहुल गांधी स्वच्छ गंगा, मेक इन इंडिया, उज्जवला योजना में आ रही समस्याएं, भीड़ के द्वारा हो रही हत्याओं, कश्मीर के हालात, किसानों की आत्महत्याएं, बनारस में गिरा पुल जैसे मुद्दों पर पीएम मोदी को घेरना चाहिए था, पर शायद वह तथ्यपरक भाषण में यकीन नहीं रखते।
- पीएम मोदी ने राहुल गांधी के हर आरोप का जवाब दिया। चाहे आंख में आंख डालकर बात करने की बात की हो या राफेल डील। लेकिन मंझे हुए राजनेता होने के साथ पीएम मोदी इस देश के लीडर भी हैं। आदर्श प्रस्तुत करने की सबसे पहले जिम्मेदारी उन्हीं की है। भले ही राहुल गांधी स्टंट कर रहे थे, इसके बाद भी पीएम को आगे बढ़कर उन्हें लगाना चाहिए था। ऐसा होता तो बात कुछ और होती, क्योंकि ऐसा न करके पीएम मोदी ने भी एक अच्छा मौका हाथ से गंवा दिया।