राहुल गांधी को उनके ट्वीट के लिए मिली खुली चुनौती, कहा 'आप डॉक्टर नहीं हैं, जानिए क्या है मामला?
नई दिल्ली। एक स्वदेशी वेंटीलेटर कंपनी अग्वा, जो विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित वेंटीलेटर से 10 गुना सस्ती और स्वदेशी वेंटीलेटर सरकार का मुहैया कराने जा रही है, ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा रविवार को किए एक ट्विट के बाद उन्हें चुनौती देते कहा है कि चूंकि राहुल गांधी डाक्टर नहीं है, बावजूद कंपनी उन्हें स्वदेशी वेंटीलेटर का डेमा देने को तैयार है।
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There was no pressure. We were given an order after due verification by (Health) Ministry. Ventilators were tested on various patients. Complete analysis was done by ministry: Prof D.Vaish, Co-founder AgVa Healthcare, on if there was pressure to manufacture more to meet demand pic.twitter.com/VNu82aoo4E
— ANI (@ANI) July 7, 2020
दरअसल, क्योंकि राहुल गांधी ने ट्वीट में मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार पीएम केयर्स फंड का इस्तेमाल कर कोविड-19 मरीजों के लिए घटिया वेंटिलेटर खरीद रही है। राहुल गांधी का कहना था कि पीएम केयर्स फंड में अपारदर्शिता से भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है और सार्वजनिक धन का इस्तेमाल घटिया सामग्री खरीदने में हो रहा है।
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राहुल गांधी वेंटिलेटर की जांच किए बिना ही उससे जुड़ी खबर को रीट्वीट किया
स्वदेशी वेंटिलेटर को बनाने वाली कंपनी अग्वा (AgVa) वेंटिलेटर के सह-संस्थापक प्रोफेसर दिवाकर वैश ने स्पष्ट करते हुए कहा कि राहुल गांधी वेंटिलेटर की जांच किए बिना ही उससे जुड़ी खबर को रीट्वीट कर दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी डॉक्टर तो हैं नहीं, जो उन्हें वेंटिलेटर की जांच करना आता हो।
अंतर्राष्ट्रीय निर्माता नहीं चाहते हैं कि भारतीय वेंटिलेटर को बढ़ावा दिया जाए
बकौल दिवाकर वैश, अंतर्राष्ट्रीय निर्माता नहीं चाहते हैं कि भारतीय वेंटिलेटर को बढ़ावा दिया जाए और इसलिए वे स्वदेशी प्रयासों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अगर राहुल गांधी चाहें तो मैं उन्हें वेंटिलेटर कैसे काम करता है, इसका डेमो दिखा सकता हूं।
कोरोना मरीजों को जरूरत पड़ने पर 100 फीसदी ऑक्सीजन देना पड़ता है
प्रोफेसर वैश ने बताया कि हवा में 21 फीसदी ऑक्सीजन होता है, लेकिन कोरोना मरीजों को जरूरत पड़ने पर 100 फीसदी ऑक्सीजन देना पड़ता है। इसलिए हमने अपने ऑक्सीजन को इस तरह तैयार किया है कि यह 21 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक ऑक्सीजन को मरीज को दे सकता है।
स्वदेशी वेंटीलेटर की जांच चाहें तो कोई भी स्वतंत्र रूप से भी कर सकता हैं
प्रोफेसर ने बताया कि इसकी जानकारी हमने अपने ब्रोशर में दे दी है और यही हम लोगों को बताते भी हैं, जिसकी जांच चाहें तो को भी स्वतंत्र रूप से भी कर सकता हैं। उन्होंने बताया कि इसकी जांच के लिए हमने एक डिवाइस भी मंगाया है, ताकि हम अपनी बात को सच साबित कर सकें।
कुछ लोग FIO2 यानी ऑक्सीजन की मात्रा को लेकर आरोप लगा रहे हैं
वहीं, राहुल गांधी के आरोपों पर वैश ने कहा कि कुछ लोग एफआईओ2 यानी ऑक्सीजन की मात्रा को लेकर कंपनी पर आरोप लगा रहे हैं कि कंपनी उसमें गड़बड़ी कर रही हैं। उन्होंने कि कंपनी लोगों को बताना चाहती है कि हर वेंटिलेटर के अंदर ऑक्सीजन सेंसर लगा होता है, जिसकी धीरे-धीरे दक्षता कम होती जाती है, इसलिए इसको संशोधित करना होता है। हर वेंटिलेटर के अंदर इसकी जांच करने का विकल्प होता है।
स्वेदशी वेंटिलेटर के घटिया होने की खबर को राहुल गांधी ने रीट्वीट किया था
अफवाहों पर टिप्पणी करते हुए वैश ने कहा कि कुछ वर्तमान कर्मियों और कुछ पूर्व कर्मियों को यह बात नहीं पता थी। उन्होंने मशीन में थोड़ा सा परिवर्तन किया और वह संशोधित होकर 100 फीसदी पर पहुंच गई। राहुल गांधी को यह बात पता नहीं होगी, क्योंकि वह डॉक्टर तो है नहीं, इसलिए उन्होंने उस खबर को रीट्वीट कर दिया, जिसमें वेंटिलेटर के घटिया होने की बात कही गई थी।
राहुल गांधी ने जानने की कोशिश नहीं की कि वेंटिलेटर में संशोधन प्रक्रिया क्या है
वैश का कहना है कि राहुल गांधी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि वेंटिलेटर में संशोधन प्रक्रिया क्या है और इसे कैसे किया जाता है। इसलिए हम कहना चाहते हैं कि वेंटिलेटर में कोई खामी नहीं है।
पूरी जांच के बाद स्वदेशी वेंटीलेटर सरकार द्वारा ऑर्डर दिया गया
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जांच किए जाने के बाद कंपनी को स्वदेशी वेंटीलेटर मुहैया कराने का ऑर्डर दिया गया। कंपनी के वेंटिलेटरों की कई मरीजों पर जांच की गई। मंत्रालय द्वारा इसको लेकर पूरा विश्लेषण भी किया गया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें मांग को देखते हुए निर्माण को बड़ी संख्या में करने का दबाव दिया गया, तो उन्होंने कहा कि हम पर कोई दबाव नहीं था।