सूट-बूट के चक्कर में कुर्ता-पैजामा भूले राहुल गांधी
[अजय मोहन] अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दौरे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वो कुर्ता पैजामा चाहते हैं, सूट-बूट नहीं! आगे कहा कि वे जनता को कुर्ता-पैजामा की सरकार देना चाहते हैं। अगर रिएलिटी चेक करें तो अमेठी दौरे से महज पंद्रह दिन पहले राहुल गांधी ने एक सूट-बूट वाले इंसान के चक्कर में कुर्ता-पैजमा वालों को भूल गये!
यहां सूट-बूट वाला इंसान है ललित मोदी और कुर्ता-पैजामा में भोली-भाली जनता। यह सभी जानते हैं कि ललित-मोदी की वजह से संसद के मॉनसून सत्र की बलि चढ़ गई। इसकी जिम्मेदार जितनी केंद्र सरकार है, उतनी ही विपक्षी पार्टियां। अंदर बैठे किसी भी व्यक्ति को कुर्ता-पैजामा पहनने वालों की फिक्र नहीं थी, खास कर उन लोगों को जो बार-बार हंगामा कर संसद प्रक्रिया में रुकावट डाल रहे थे।
बात अगर राहुल गांधी की करें, तो उत्तर प्रदेश के कईयों दौरे उन्होंने किये, बिहार गये, राजस्थान गये और गरीब किसानों से मिले, लेकिन जब उन गरीबों के मुद्दों को उठाने का समय आया, तो ललित मोदी का मुद्दा उन गरीब किसानों के मुद्दों से ज्यादा बड़ा लगा।
राहुल गांधी की नजर में
- सूट-बूट वाले ललित मोदी को भारत लाना ज्यादा जरूरी है
- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, आदि राज्यों में बाढ़ के बीच कुर्ता पैजामा पहने खड़े लोग नहीं।
- सूट-बूट वाले ललित मोदी के लिये उस मॉनसून सत्र को कुर्बान कर दिया। जिस पर 160 करोड़ रुपए खर्च हुए।
- ये 160 करोड़ राहुल गांधी की तिजोरी से नहीं, बल्कि कुर्ता-पैजामा पहन कर जिंदगी काट देने वाले आम लोगों की जेब से आये थे।
यदि राहुल गांधी जी आपवे निवेदन है हमारा, कुर्ता-पैजामा की सरकार आने में अभी चार साल लगेंगे। कुर्ता पैजामा की सरकार का इंतजार करने के बजाये, वर्तमान मुद्दों को उठाइये, क्योंकि यह आप भी जानते हैं कि बतौर सांसद आप अमेठी की सूरत बदल सकते हैं। और अगर आप और आपके साथी सांसद अगर अपने-अपने क्षेत्रों का विकास करेंगे तो सूट-बूट की सरकार भी आपको नहीं रोकेगी।