राहुल गांधी ने कांग्रेस के अगले अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दिया बड़ा बयान
नई दिल्ली: काग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद पार्टी में हलचल मची हुई है। पार्टी के कई सीनियर नेता राहुल को अपना फैसला वापस लेने के मनाने की कोशिश कर रहे हैं, पर वो अपने फैसले पर अडिग हैं। गुरुवार को संसद के बाहर राहुल गांधी ने पार्टी के अगले अध्यक्ष को लेकर बड़ा बयान दिया। राहुल गांधी ने कहा कि वो कांग्रेस के अगले अध्यक्ष पद की नियुक्ति नहीं करेंगे। उन्होंने रिपोर्टरों से बातचीत करते हुए कहा कि वो अपने उत्तराधिकारी के बारे में फैसला नहीं ले सकते हैं।
'मैं नहीं करुंगा अध्यक्ष की नियुक्ति'
राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रिपोर्टरों से कहा कि मैं वो नहीं हूं, जो पार्टी के अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। मीडिया रिपोट्स में ये दावा किया गया था कि उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम को अपनी मंजूरी दी है। राहुल गांधी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रसे की पहली कार्यसमिति में अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 52 सीटें जीती थी, जो कुल लोकसभी सीटों के 10 फीसदी से भी कम है। हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था।
राफेल पर क्या बोले राहुल?
राहुल गांधी ने राफेल डील पर कहा कि उनका रुख इस पर आज भी वो ही है, जो लोकसभा चुनाव में था। मैं अपनी बात को आज भी दोहराता हूं कि राफेल डील में चोरी हुई है। उन्होंने संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन के बाद ये टिप्पणी की। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में राफेल का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार मेक इन इंडिया के तहत आधुनिक-शस्त्र बनाने पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत को पहला राफेल लड़ाकू विमान और अपाचे हेलीकॉप्टर निकट भविष्य में मिलने जा रहा है।
राहुल ने लोकसभा में नेता बनने से किया इनकार
राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश के साथ-साथ लोकसभा में कांग्रेस के नेता पद संभालने से भी इनकार कर दिया था। इसके बाद पार्टी ने ये जिम्मेदारी अधीर रंजन चौधरी को सौंपी। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के पास नया नेता चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं था। अधीर रंजन चौधरी पांच बार से सांसद हैं और उनके अनुभव को देखते हुए ही पार्टी ने उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी है।
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