राफेल डील में बड़ा घोटाला, पीएम ने पेरिस जाकर बदली डील: राहुल
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आखिर वो कौन सी वजह हैं जिनके चलते प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री फ्रांस के साथ हुए राफेल एयरक्राफ्ट के सौदे की जानकारी देश से छुपाना चाहते हैं। अमेठी से लोकसभा सांसद ने कहा कि इस डील में बड़ा घोटाला हुआ है, जिसे दबाया जा रहा है। राहुल ने कहा, 'रक्षामंत्री कहती हैं कि वो राफेल एयरक्राफ्ट के सौदे में खर्च रकम को नहीं बता सकती हैं, इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि इसमें घोटाला हुआ है, मोदी जी खुद पेरिस गए और डील में बदलाव किए गए. देश जानना चाहता है कि ये क्या हो रहा है।'
भाजपा सरकार ने दिया ज्यादा पैसा: कांग्रेस
राहुल ने सरकार पर घोटाला के ये आरोप मंगलवार को भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान के बीच हुए सौदे की गुप्त सूचनाओं को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में साझा करने से मना करने के बाद लगाए। दूसरे कांग्रेस नेताओं ने भी रक्षामंत्री के जवाब नहीं देने पर 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया गया है। ट्विटर पर भी कांग्रेस नेताओं ने #TheGreatRafaleMystery हैशटेग के साथ भाजपा नेताओं को घेरा है। कांग्रेस का कहना है कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में सौदे में पूर्व में 126 बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) की खरीद के सौदे से ज्यादा कीमत अदा की गई है।
सपा सांसद ने उठाया राफेल डील का मामला
संसद में समाजवादी पार्टी के एमपी नरेश अग्रवाल ने सरकार राफोल डील की जानकारी सदन में रखने की मांग की थी। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद को बताया कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के जो सौदे हुए हैं वह दो देशों की सरकारों के बीच का समझौता है और इसमें गुप्त सूचनाएं हैं। इसलिए सौदे से संबंधित जानकारियां साझा नहीं की जा सकती हैं। सीतारमण ने लिखित में ये जानकारी सदन को दी।
सीतारमण ने कहा, नहीं दे सकते जानकारी
नरेश अग्रवाल ने सदन में कहा कि कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार राफेल जेट विमान के लिए यूपीए सरकार के पूर्व सौदे के मुकाबले ज्यादा कीमत अदा कर रही है, तो सरकार इस पर जानकारी दे। इस पर सीतारमण ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की खरीद को लेकर हुए अंतर-सरकार समझौता के मुताबिक 2008 में भारत और फ्रांस के बीच किए गए सुरक्षा समझौते के प्रावधान विमानों की खरीद, गुप्त सूचनाओं की सुरक्षा व सामग्री के आदान-प्रदान पर लागू हैं।
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