राहुल और प्रियंका ने महबूबा को रिहा करने की उठाई मांग, केंद्रीय मंत्री ने याद दिलाया 'नेहरू काल'
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के डिटेंशन की अवधि को सरकार ने एक बार फिर से तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है। जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने महबूबा मुफ्ती को रिहा किए जाने की मांग की। राहुल गांधी ने कहा कि राजनीतिक नेताओं को गैरकानूनी रूप से डिटेन करके भारत के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बता दें कि पिछले वर्ष अगस्त माह में जम्मू कश्मीर में धारा 370 को खत्म किए जाने के बाद से ही महबूबा मुफ्ती को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत डिटेंशन में रखा गया है।
महबूबा मुफ्ती को रिहा किए जाने की मांग करते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, जब सरकार गैर कानूनी तरीके से राजनीतिक लीडर्स को डिटेन करती है तो इससे भारत के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है, अब समय आ गया है कि महबूबा मुफ्ती को रिहा किया जाए। पिछले महीने जम्मू कश्मीर प्रशासन ने महबूबा मुफ्ती के डिटेंशन को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया था। ना सिर्फ राहुल गांधी बल्कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट करके इस मसले पर केंद्र सरकार पर हमला बोला।
प्रियंका ने ट्वीट करके लिखा, हिंदुस्तान के संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा रवैया तानाशाही का प्रतीक है। भाजपा सरकार लोकतंत्र की सबसे मजबूत शैली 'बातचीत' से नजरें चुराने के लिए नेताओं की नजरबंदी को अपना हथियार बना रही है। महबूबा मुफ्ती को नज़रबंद रखना आलोकतंत्रिक और असंवैधानिक है। उन्हें रिहा करना चाहिए। राहुल गांधी के ट्वीट के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उनपर पलटवार करते हुए जवाहर लाल नेहरू की याद दिलाई।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर कोई राहुल गांधी को नेहरू के समय को याद दिला सके, वह समझ सकेंगे कि कैसे उनके दादा और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर से 2000 किलोमीटर दूर तमिलनाडु में 12 वर्ष तक उनके घर से अलग रखा था। इस बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से जांच कराए जाने की मांग की है।
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