इंदिरा हृदयेश के निधन पर Rahul Gandhi ने जताया दुख, कहा- वो पार्टी की एक मजबूत कड़ी
नई दिल्ली, जून 13: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश का आज यानी रविवार को निधन हो गया। वो कांग्रेस की एक मीटिंग में शामिल होने दिल्ली आई थीं, लेकिन दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया। इंदिरा हृदयेश के निधन पर कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दुख जताया।
कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा, 'उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की एक मज़बूत कड़ी, डॉ. इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला। वे अंत तक जन सेवा एवं कांग्रेस परिवार के लिए कार्यरत रहीं। उनके सामाजिक व राजनीतिक योगदान प्रेरणास्रोत हैं। उनके प्रियजनों को शोक संवेदनाएं।' वहीं, कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट किया है।
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प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला। आज हमने एक जुझारू नेता, जनप्रिय प्रतिनिधि एवं अभिभावक को खो दिया। ईश्वर उनको श्रीचरणों में स्थान दें एवं इस दुख की घड़ी में परिजनों को कष्ट सहने का साहस दें।'
मायावती
और
अखिलेश
ने
भी
जताया
दुख
उत्तर
प्रदेश
की
पूर्व
मुख्यमंत्री
व
बीएसपी
की
अध्यक्ष
मायावती
ने
लिखा,
'यूपी
और
फिर
उत्तराखण्ड
की
राजनीति
में
लम्बे
समय
तक
अति-सक्रिय
व
अहम्
भूमिका
निभाने
वाली
उत्तराखण्ड
विधानसभा
में
नेता
प्रतिपक्ष
इन्दिरा
हृदयेश
के
आज
निधन
की
खबर
अति-दुःखद।
उनके
परिवार
व
समर्थकों
के
प्रति
मेरी
गहरी
संवेदना।
कुदरत
उन
सबको
इस
दुःख
को
सहन
करने
की
शक्ति
प्रदान
करे।'
वहीं,
अखिलेश
यादव
ने
लिखा,
'उत्तराखंड
की
वरिष्ठ
नेता
एवं
सदन
में
नेता
विपक्ष
इंदिरा
हृदयेश
जी
का
निधन,
अत्यंत
दुखद!
इंदिरा
हृदयेश
जी
का
जाना
प्रदेश
की
राजनीति
के
लिए
अपूरणीय
क्षति।
शोकाकुल
परिजनों
के
प्रति
संवेदना।
ईश्वर
दिवंगत
आत्मा
को
शांति
दे।
भावभीनी
श्रद्धांजलि।'
जानिए
कौन
थी
इंदिरा
हृदयेश
इंदिरा
का
7
अप्रैल
1941
को
अयोध्या
में
जन्म
हुआ
था।
उन्होंने
हिंदी
और
राजनीति
विज्ञान
में
मास्टर
डिग्री
हासिल
की
थी।
उनके
पास
बीएड
और
पीएचडी
की
भी
डिग्री
थी।
उनके
3
पुत्र
हैं।
उनके
राजनीतिक
करियर
की
बात
करें
तो
1974
में
वह
पहली
बार
विधान
परिषद
के
लिए
चुनी
गईं।
तब
वह
अविभाजित
उत्तर
प्रदेश
विधान
परिषद
की
सदस्य
(गढ़वाल
कुमाऊं
निर्वाचन
क्षेत्र)
निर्वाचित
हुई
थीं।
इसके
बाद
वह
1986,
1992
और
1998
में
फिर
विधान
परिषद
के
लिए
निर्वाचित
हुई
थीं।
इंदिरा
3
बार
विधानसभा
के
लिए
भी
चुनी
गई
थीं।
उन्होंने
2002,
2012
और
2017
के
विधानसभा
चुनाव
में
जीत
हासिल
की
थी।