रघुराम राजन बोले- आलोचना को दबाने से नीति बनाने में गलतियां करती हैं सरकारें
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आलोचना को दबाने से सरकारें नीति बनाने में गलतियां करती हैं। इसके बाद खराब परिणाम आने तक सरकार अपने फैसले को लेकर खुशफहमी में रह सकती है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफसर रघुराम राजन ने सोमवार को अपने ब्लॉग में ये बातें लिखीं।
'आलोचना को दबाना नीतिगत गलतियों का बनती हैं कारण'
रघुराम राजन ने लिखा कि अगर आलोचना करने वाले हर व्यक्ति को सरकारी मशीनरी द्वारा फोन पर पीछे हटने के लिए कहा जाएगा, या सत्तासीन दल की ट्रोल आर्मी का निशाना बनाया जाएगा, तो बहुत से लोग अपनी आलोचना का सुर नीचे कर लेंगे, उसे हल्का कर लेंगे। ऐसे में सरकार तब तक सब कुछ अच्छा-अच्छा दिखने वाले माहौल में वक्त बिता सकेगी। उन्होंने कहा कि बेशक मीडिया में आलोचना सहित कुछ गलत सूचनाएं और व्यक्तिगत हमले हो जाते हैं, मैने इन सब चीजों को अपने पूर्व के काम में देखा है। हालांंकि, आलोचना को दबा देना नीतिगत गलतियों का कारण बन सकता है।
इतिहास में खोए रहना हमारी असुरक्षा को दर्शाता है- राजन
उन्होंने कहा कि इतिहास को समझना और जानना निश्चित तौर पर अच्छी बात है लेकिन इसमें खोए रहना हमारी असुरक्षा को दर्शाता है। इससे हमारी मौजूदा क्षमता को बढ़ाने में मदद नहीं मिलने वाली है। दरअसल, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से दो सदस्यों रतिन रॉय और शमिका रवि को हटा दिया गया है। रघुराम राजन की ये टिप्पणी इसके बाद ही आई है। इन दोनों लोगों ने सॉवरेन बांड के जरिए विदेशी बाजार से फंड जुटाने के सरकार के फैसले की आलोचना की थी।
रघुराम राजन ब्लॉग में किया जिक्र
राजन ने कहा कि सच को ज्यादा देर तक झुठलाया नहीं जा सकता है। राजन ने ब्लॉग में लिखा है कि सावर्जनिक आलोचना नौकरशाहों को सरकार के सामने सच रखने की गुंजाइश देती है। पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जो सरकार आलोचना को दबा देती है, वहां गलतियों के सिवाय कुछ नहीं होता है। रघुराम राजन ने कहा कि बड़े पदों पर बैठे ताकतवर लोगों को आलोचना सहन करना चाहिए। अगर आलोचकों का मुंह दबा दिया जाएगा तो नीतिगत गलतियां हो सकती हैं।