राफेल जेट का पहला घर बनेगा अंबाला का वो एयरफोर्स स्टेशन, जिसे उड़ाने के लिए पाकिस्तान ने रची थी साजिश
नई दिल्ली। आखिरकार इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का इंतजार खत्म हुआ और फ्रांस से पांच राफेल फाइटर जेट्स अब भारत आने को तैयार हैं। राफेल फाइटर जेट्स को हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। अंबाला का एयरफोर्स स्टेशन वेस्टर्न एयर कमांड का हिस्सा है और आईएएफ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। सन् 1965 और 71 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग हो या फिर 1999 में हुआ कारगिल संघर्ष, इस एयरफोर्स स्टेशन ने हर बार दुश्मनों के खिलाफ मोर्चा संभाला। आप इसको सबसे बिजी एयरफोर्स स्टेशन भी कह सकते हैं। आइए आपको आज इस खास एयरफोर्स स्टेशन से जुड़ी खास बातों को बताते हैं।
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देश का सबसे पुराना एयरफोर्स स्टेशन
यह देश का सबसे पुराना एयरफोर्स स्टेशन है। अंबाला के साथ मिलिट्री एविएशन का इतिहास सन् 1919 से जुड़ा है। उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था और यहां पर रॉयल एयरफोर्स (आरएएफ) की स्क्वाड्रन नंबर 99 थी। उस समय इसे कैंप अंबाला के तौर पर जानते थे। इसके बाद सन् 1922 में आरएएफ इंडिया कमांड का हेडक्वार्टर यहां पर आया। एक अगस्त 1954 को इसे औपचारिक तौर पर आईएएफ का हिस्सा बना दिया गया। यहां से भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर बस 220 किलोमीटर की दूरी पर है। यही वजह है कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने जितने भी युद्ध लड़े, आईएएफ के लिए अंबाला लिस्ट में सबसे ऊपर रहा।
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1948 में आई पहली एयरस्ट्रिप
हरियाणा के अंबाला में सन् 1948 को पहली एयरस्ट्रिप का निर्माण हुआ था। उस समय यहां पर फ्लाइंग इंस्ट्रक्शन स्कूल (एफआईएस) की स्थापना हुई। इसके बाद सन् 1954 में एफआईएस को अंबाला से चेन्नई के तांबरम एयरफोर्स स्टेशन में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन आईएएफ के लिए यह एक अहम रणनीतिक बेस बन गया। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन आज सामरिक दृष्टि से आईएएफ के लिए प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में जगुआर के अलावा मिग-21 की भी एक स्क्वाड्रन है। मिग-21 जब अपग्रेड होकर आए थे तो उन्हें अंबाला में ही तैनात किया गया था।
पाकिस्तान ने किया था हमला
सन् 1965 में पाकिस्तान ने जंग के समय अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर भी बम गिराए थे। 20 सितंबर 1965 को तड़के करीब तीन बजे पाकिस्तान के जेट ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया। उस एयरक्राफ्ट का मकसद अंबाला एयरबेस को पूरी तरह से उड़ाना था लेकिन ऐसा हो नहीं सका। लेकिन जो बम गिराया गया उसने एयरफोर्स स्टेशन के अंदर स्थित सदियों पुराने सेंट पॉल चर्च को निशाना बना डाला। आज भी यह चर्च यहां पर मौजूद है और पाकिस्तान की हार के साथ ही आईएएफ की जीत की कहानी को बयां करता है।
परमवीर चक्र विजेता स्क्वाड्रन
अंबाला में आईएएफ की इकलौती ऐसी स्क्वाड्रन थी जिसे परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। यह सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार नंबर 18 स्क्वाड्रन को सन् 1965 की जंग में इसके अनमोल योगदान की वजह से दिया गया था। फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह शेखों जिन्हें मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया था उन्होंने पाकिस्तान को उस युद्ध में धूल चटाई थी। सन् 1948 में जब पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का समझौता हुआ तो नियम के अनुसान शांति काल में भारत फाइटर जेट्स श्रीनगर में नहीं तैनात कर सकता था। ऐसे में अंबाला आईएएफ के लिए पहला विकल्प बना।
1999 में ऑपरेशन सफेद सागर
71 में फिर पाकिस्तान से आमना-सामना हुआ और वेस्टर्न एयर कमांड का जाबांज सिपाही अंबाला दुश्मन के लिए फिर से काल बना। सन् 1999 में जब कारगिल की जंग हुई तो एक बार फिर अंबाला सुर्खियों में आया। यहां से ही आईएएफ ने ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया। उस समय अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से कुल 234 सॉर्टीज को अंजाम दिया गया। इनमें से कई मिशन तो ऐसे थे जिन्हें रात में सफलतापूर्वक पूरा किया गया था।
बालाकोट एयरस्ट्राइक का हिस्सा
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के कब्जे वाले बालाकोट में एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। इस दौरान एक बार फिर अंबाला ने बड़ा रोल अदा किया। बालाकोट एयरस्ट्राइक को 'ऑपरेशन बंदर' कोड वर्ड दिया गया था। इस दौरान बम गिराने वाले मिराज 2000 फाइटर जेट्स ने अंबाला से ही ऑपरेट किया था। वहीं एयरबेस पर जगुआर भी रेडी थे। आईएएफ अंबाला से चार जगुआर लॉन्च करने के लिए तैयार थी जबकि दो सुखोई-30 फाइटर जेट्स को कॉम्बेट एयर पेट्रोल (CAP) के लिए बहावलपुर की तरफ भेजा जा चुका था। यह जगह जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर है।