राफेल डील: रक्षा मंत्रालय ने कहा सिर्फ अधूरी तस्वीर दिखाना मकसद
नई दिल्ली। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर चुनावों से ऐन पहले एक अहम फैसला दिया है। इस फैसले पर रक्षा मंत्रालय की ओर से बयान दिया गया है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि याचिकाकर्ताओं ने डॉक्यूमेंट्स को सिर्फ चुनिंदा और अधूरी तस्वीर पेश करने के मकसद से पेश किया। रक्षा मंत्रालय ने इस पूरे मसले को एक बार फिर आंतरिक गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से जुड़ा मसला बताया है।
सिर्फ एक तरफ पक्ष
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बयान जारी किया गया। प्रवक्ता की ओर से कहा गया, 'रिव्यू पेटिशंस में याचिकाकर्ता उन डॉक्यूमेंट्स पर निर्भर थे जिसमें से कुछ सार्वजनिक नहीं किए जा सकते थे।' बयान में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए दस्तावेज यह बताने में असफल रहे हैं कि मुद्दों को कैसे लिया गया, कैसे उनका हल किया गया और कैसे अधिकारियों से जरूरी अनुमति ली गई। याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए तथ्य और रिकॉर्ड अधूरे और एकतरफा पक्ष दिखाने वाले हैं। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को यह फैसला करना था कि इससे संबंधित जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पेटिशन की सुनवाई होगी या नहीं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को राफेल डील मामले में बुधवार को उस समय करारा झटका जब रिव्यू पेटिशन पर नए दस्तावेज के आधार पर सुनवाई का फैसला दिया गया। कोर्ट ने इस पूरे मसले पर सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। राफेल मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की बेंच ने एक मत फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया कि जो नए दस्तावेज सामनेआए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पेटिशन पर सुनवाई होगी। सीजेआई के अलावा सुनवाई में जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट अब रिव्यू पेटिशन पर सुनवाई के लिए नई तारीख तय करेगा।