Rafale Deal: अनिल अंबानी बोले सामने आ गया झूठ, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
मुंबई। राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रिलायंस के अनिल अंबानी ने भी प्रतिक्रिया दी है। अनिल अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवा को अपने अहम फैसले में कहा है कि 36 जेट्स के लिए 59,000 करोड़ की इस डील पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। सरकार पर आरोप लगे थे कि उसने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को डील में ऑफसेट कॉन्ट्रक्ट हासिल करने में मदद की। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस आरोप के खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस बात के सुबूत भी नहीं मिले हैं कि किसी पसंदीदा कंपनी को प्राथमिकता दी गई हो। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा है, 'किसी एक व्यक्ति का नजरिया जांच का विषय नहीं हो सकता है।' यह भी पढ़ें-Rafale Deal: सुप्रीम कोर्ट बोला-'कीमत तय करना हमारा काम नहीं'
राजनीतिक मंशा से बोला गया था झूठ
अनिल अंबानी ने अपने बयान में कहा है, 'मैं सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं जिसमें राफेल सौदे की जांच से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राजनीतिक मंशा से मुझे पर और रिलायंस ग्रुप पर लगाए जा रहे आधारहीन आरोपों को सामने लाकर रख दिया है जोकि अब झूठे साबित हुए हैं।' अनिल अंबानी ने कहा है कि उनकी कंपनी हमेशा देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और मेक इन इंडिया के तहत अपना योगदान करती रहेगी।
विपक्ष ने लगाए सरकार पर आरोप
अप्रैल 2015 में केंद्र सरकार ने फ्रांस के साथ 8.7 बिलियन डॉलर की लागत वाली राफेल जेट की डील का ऐलान किया था। इसके बार सितंबर 2016 में डील फाइनल हुई थी। इस डील ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुई 126 राफेल एयरक्राफ्ट की जगह ली थी। यूपीए के समय में जो डील हुई थी उसमें 108 एयरक्राफ्ट को भारत में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को तैयार करना था। साल 2015 में हुई डील का विपक्ष ने खासा विरोध किया है। विपक्ष का दावा है कि वर्तमान डील में भारत हर राफेल एयरक्राफ्ट के लिए 1,670 करोड़ रुपए अदा कर रहा है और यह यूपीए के कार्यकाल में हुई डील से तीन गुना ज्यादा है।
अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए हुई डील
विपक्ष के मुताबिक यूपीए के समय हुई डील में हर एयरक्राफ्ट के लिए 526 करोड़ रुपए दिए गए थे। विपक्ष ने अनिल अंबानी वाले रिलायंस ग्रुप और डसॉल्ट के बीच हुए ऑफसेट सौदे को लेकर भी सवाल उठा रहा था। कांग्रेस का दावा था कि पहले वाली डील को रद्द करके यह नई डील की गई है ताकि अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके। सरकार और अनिल अंबानी दोनों की ओर से इन आरोपों को सिरे से नकारा जा चुका है।