क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

राफेल में किसका हुआ 'सौदा'? सरकार को घेरते ये 5 सवाल और पांच बड़े विवाद

Google Oneindia News

नई दिल्ली। राफेल डील अब एक कॉकटेल की तरह बनता जा रहा है, जिसमें बहुत कुछ मिक्स हो गया है। राफेल डील को लेकर जहां एक तरफ भारत में सियासी पारा गर्म है तो दूसरी तरफ फ्रांस से भी इस मुद्दे पर कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। एक इंटरव्यू में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने जब कहा कि राफेल डील के लिए उनके सामने भारत सरकार ने सिर्फ रिलायंस कंपनी का ही विकल्प रखा था, इसलिए दसॉल्ट और रिलायंस ग्रुप के साथ समझौता मंजूर हुआ। ओलांद के इस बयान के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे अपनी बात (इस कमर्शियल डील में फ्रांस और भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं) पर कायम है। ओलांद के बयान पर मचे घमासान के बाद तो राफेल एयरक्राफ्ट कंपनी दसॉल्ट को भी बयान जारी कर कहना पड़ा कि उन्होंने अपनी मर्जी से रिलायंस ग्रुप को चुना था। हालांकि, दसॉल्ट ने ओलांद के बयान के खारिज भी नहीं किया। एक नजर डालते हैं राफेल पर हाल ही में उठे उन 5 विवादों पर जिससे भारत में सत्तारूढ़ सरकार पर खड़े हो रहे हैं...

सरकार और ओलांद के बयानों में विरोधाभास

सरकार और ओलांद के बयानों में विरोधाभास

राफेल सौदे पर सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि यह दो कंपनियों के बीच की कमर्शियल डील थी, जिसमें भारत और फ्रांस की सरकार का लेना देना नहीं था। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान और भारत में सरकार के दावों में बहुत विरोधाभास देखने को मिल रहा है। फ्रांसीसी पत्रिका मेडियापार्ट में प्रकाशित इंटरव्यू में जब ओलांद से पूछा गया कि रिलायंस को एक पार्टनर के रूप में चुनने के बारे में सुझाव किसने और क्यो दिया? तब ओलांद ने कहा, 'यह भारत सरकार थी जिसने रिलायंस के नाम का प्रस्ताव दिया था और दसॉल्ट कोई विकल्प नहीं था।

HAL से डील के ट्रांसफर होने की वजह?

HAL से डील के ट्रांसफर होने की वजह?

इसी माह फ्रांस के 'फ्रांस 24' नाम के अखबार अपनी ही सरकार से सवाल किया- भारत में HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) के पास डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का 78 साल का अनुभव है और अनिल अंबानी की 'रिलायंस डिफेंस' कंपनी के पास हथियार बनाने का का कोई अनुभव ही नहीं है, फिर भी डील ट्रांसफर कैसे हुई?

डील साइन होने के 15 दिन बाद बनी रिलायंस डिफेंस

डील साइन होने के 15 दिन बाद बनी रिलायंस डिफेंस

फ्रांस 24 के मुताबिक, दसॉल्ट एविएशन और अंबानी की कंपनी के बीच हस्ताक्षर होने के 15 दिन बाद 'रिलायंस डिफेंस' अस्तित्व में आई। अनिल अंबानी रिलायंस डिफेंस से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन रिलायंस ग्रुप ने फ्रांस 24 के दावे पर कुछ नहीं कहा है।

कांग्रेस का आरोप- एरक्राफ्ट की कीमत तीन गुना ज्यादा

कांग्रेस का आरोप- एरक्राफ्ट की कीमत तीन गुना ज्यादा

सितंबर 2016 में सरकार और फ्रांस के बीच राफेल पर इंटर-गवर्नमेंट डील साइन हुई। इस डील के मुताबिक, 36 राफेल एयरक्राफ्ट के लिए भारत सरकार फ्रांस को 58,000 करोड़ रुपये देगी। कांग्रेस का आरोप है कि वर्तमान सरकार ने इस डील को बदल दी है, जिसकी कीमत पिछली डील (कांग्रेस के वक्त) से तीन गुना ज्यादा है। कांग्रेस लगातार सरकार से इसका जवाब मांग रही है।

सरकार नहीं बता रही 1 एयरक्राफ्ट की कीमत

सरकार नहीं बता रही 1 एयरक्राफ्ट की कीमत

इंडिया टूडे को दिए इंटरव्यू में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों कहते हैं कि अगर भारत सरकार इस डील से जुड़ी कोई सूचना साझा करती है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा से जुड़ी डील होने के नाते इसका कुछ सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जा सकती है। कांग्रेस का आरोप है कि डिफेंस मिनिस्टर राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत नहीं बता रही है।

ये भी पढ़ें: राफेल पर घमासान: दसॉल्ट ने कहा- रिलायंस को हमने किया था पसंद, नागपुर में खड़ा किया प्लांट

Comments
English summary
Rafale Deal: 5 fresh controversial so far against Modi government
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X