राधा मोहन दास अग्रवाल: वो BJP MLA जिसने बढ़ा रखी है पार्टी की मुश्किल, जानिए कब-कब रहे चर्चा में
लखनऊ। गोरखपुर सदर सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल अपने बयानों से मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं। पार्टी ने राधा मोहन दास अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि पिछले दिनों राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट कर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए खुद के विधायक होने पर शर्म जताई थी। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए जवाब मांगा है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर पार्टी के महामंत्री जेपीएस राठौर ने राधा मोहन अग्रवाल को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि आपके द्वारा सोशल मीडिया पर सरकार व सोशल मीडिया की छवि धूमिल करने वाली पोस्ट की जा रही है। ये अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।
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सांसद रविकिशन ने मांगा अग्रवाल का इस्तीफा
इधर बीच राधामोहन दास अग्रवाल का एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वे एक जाति विशेष की पार्टी की सरकार कहते सुनाई दे रहे हैं। इसे लेकर गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन ने राधा मोहन दास अग्रवाल पर हमला बोला है। रवि किशन ने नगर विधायक से इस्तीफे की मांग की है। सांसद ने कहा कि अगर आपको पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों से इतनी दिक्कत हो रही है तो आप पार्टी से इस्तीफा दे दें। रवि किशन ने कहा कि जिस मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में विकास का मार्ग खोल दिया है जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री मोदी भी करते हैं, उसे सर्टिफिकेट देने वाले नगर विधायक कौन होते हैं। भाजपा में रहकर जातिवाद की बात करना पार्टी की रीति-नीति के खिलाफ है।
सांसद ने नगर विधायक की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया। कहा कि जो अपने 18 साल के कार्यकाल में घर के सामने की सड़क का जल-जमाव ठीक नहीं कर सके, वे शहर की समस्या कैसे ठीक करेंगे।
लखीमपुर मामले में बड़े अफसरों पर साधा था निशाना
ये पहला मौका नहीं है जब डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपने बयान/पोस्ट से पार्टी को मुश्किल में डाला है। इसके पहले भी वे कई बार पार्टी उनके बयानों से असहज स्थिति में डाल चुकी है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या के मामले में शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को घेरा था। अग्रवाल ने ट्वीट कर कानून व्यवस्था को लचर बताते हुए अपर मुख्य सचिव गृह और यूपी डीजीपी को बदलने की मांग कर डाली थी।
हालांकि बाद में नगर विधायक ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया था लेकिन तब तक ये काफी वायरल हो गया था। ट्वीट डिलीट किए जाने पर अग्रवाल ने कहा था कि अधिकारियों ने उन्हें मामले में आरोपित के गिरफ्तार किए जाने की जानकारी दी थी जिसके बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट किया। उन्होंने इस दौरान जेहाद शब्द प्रयोग किया था। ट्वीट में कहा था कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जेहाद चलता रहेगा।
अग्रवाल का ऑडियो हो रहा वायरल
अभी हाल में राधा मोहन दास अग्रवाल का एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें विधायक यूपी की सरकार के लिए जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। 6 मिनट के इस ऑडियो में एक कथित भाजपा पदाधिकारी एक जाति विशेष के लड़कों पर अपने मित्र की लड़िकयों के साथ छेड़खानी की शिकायत करता सुनाई दे रहा है। पदाधिकारी गोरखनाथ थाने पर सुनवाई न करने का भी आरोप लगा रहा है। इसके जवाब में नगर विधायक पदाधिकारी से प्रदेश में खास जाति की सरकार होने की बात करते हुए बचने की सलाह दे रहे हैं।
ऑडियो जैसे सामने आया वैसे ही हंगामा मच गया। पहले से ही जाति विशेष की सरकार के आरोपों से घिरी यूपी की योगी सरकार के लिए परेशानी बढ़नी ही थी। आखिरकार प्रदेश नेतृत्व ने राधा मोहन सिंह के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। वहीं गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन विधायक के विरोध में खुलेआम उतर आए और उनके इस्तीफे की मांग कर डाली है।
2017 में आईपीएस चारू निगम से नोकझोंक
2017 में राधा मोहन दास अग्रवाल महिला आईपीएस चारू निगम को लेकर चर्चा में आए थे। गोरखनाथ सीओ चारू निगम पर आरोप था कि उन्होंने कच्ची शराब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं को जबरन हटा दिया था। इसमें बुजुर्ग महिला, बच्ची और एक गर्भवती महिला को चोट भी आई थी। इस दौरान विधायक भी वहां पहुंचे और महिला आईपीएस चारू निगम पर भड़क गए। सिटी मजिस्ट्रेट से बात के दौरान जब महिला आईपीएस ने विधायक को टोका तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से फटकार लगा दी। विधायक की डांट से चारू निगम रो पड़ी थीं और ये मामला सुर्खियों में आ गया था।
कभी थे योगी आदित्यनाथ के करीबी
नगर विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल आज भले अपने बयान या सोशल मीडिया पोस्ट से योगी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर रहें हों कभी अग्रवाल योगी सरकार के बेहद करीबी हुआ करते थे। पहला चुनाव उन्होंने 2002 में हिंदू महासभा के आशीर्वाद से ही जीता था। तब उन्होंने चार बार के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल को हरा दिया था। कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ उस समय शिव प्रताप शुक्ल से खासे नाराज चल रहे थे। उन्होंने हिंदू महासभा समर्थित प्रत्याशी राधा मोहन दास अग्रवाल के समर्थन में प्रचार शुरू किया। मंदिर समर्थित प्रत्याशी होने की वजह से राधा मोहन दास ने शिव प्रताप शुक्ल को हरा दिया।
2007 से बीजेपी के टिकट से जीत रहे
चुनाव जीतने के बाद राधा मोहन दास भाजपा में शामिल हो गए। 2007 में भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। इसके बाद 2012 में भी पार्टी ने उन्हें भाजपा से 80 हजार वोट पाकर जीत हासिल की। 2017 में भी उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। हालांकि पिछले कुछ समय से योगी आदित्यनाथ से उनकी दूरी की भी चर्चा होने लगी थी। आलम यह रहा कि योगी समर्थकों ने मांग की कि बीजेपी राधा मोहन दास अग्रवाल को टिकट न दें लेकिन पार्टी ने उन पर भरोसा जताया।
2017 में रिकॉर्ड मतों से जीतने के बाद राधा मोहन दास अग्रवाल आश्वस्त थे कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा लेकिन योगी आदित्यनाथ के मंत्रियों की लिस्ट में उनका नाम नहीं था। अग्रवाल ने अपनी पीड़ा को सोशल मीडिया के माध्यम से दर्ज किया था।
अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी पर भड़के BJP विधायक, बाद में ट्वीट किया डिलीट