जब रवींद्रनाथ टैगोर का नोबेल पुरस्कार हो गया था चोरी, गुरुदेव के 5 ऐसे किस्से जो शायद ही जानते होंगे आप
जब रवींद्रनाथ टैगोर का नोबेल पुरस्कार हो गया था चोरी, गुरुदेव के 5 ऐसे किस्से जो शायद ही जानते होंगे आप
नई दिल्ली, 07 मई: महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की आज जयंती है। देश भर में रवींद्रनाथ टैगोर का आज यानी 7 मई को 160वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता के जोरसंको हवेली में 7 मई 1861 को हुआ था। इनके पिता का नाम देबेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम सरदा देवी था। महात्मा गांधी ने रवींद्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' की उपाधि दी थी। बचपन से ही रवींद्रनाथ टैगोर कविताएं और कहानियां लिखा करते थे। रवींद्रनाथ टैगोर की काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय शख्स थे। रवींद्रनाथ टैगोर ने ही भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' लिखा है। उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा है। वह ऐसा करने वाले सिर्फ एक मात्र कवि हैं। दुनिया भर में रवींद्रनाथ टैगोर को एक महान कवि और लेखक के तौर पर जाना जाता है। तो आइए उनकी जयंती पर हम आपको उनके बारे में पांच ऐसी बातें बताते हैं, जो शायद ही जानते होंगे आप?
1. जब रवींद्रनाथ टैगोर का नोबेल पुरस्कार हो गया था चोरी
सभी जानते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर एक नोबेल पुरस्कार विजेता थे। वह पहले भारतीय थे, जो साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले गैर-यूरोपीय थे। यह पुरस्कार विश्व-भारती विश्वविद्यालय की सुरक्षा में रखा गया था। 2004 में इसे वहां से चोरी कर लिया गया था। तब स्वीडिश अकादमी ने नोबेल पुरस्कार की दो प्रतिकृति विश्व-भारती विश्वविद्यालय को दी थी। जिसमें से एक सोने का बना हुआ है और दूसरा कांसे का।
2. रवींद्रनाथ टैगोर जब अल्बर्ट आइंस्टीन से मिले
रवींद्रनाथ टैगोर एक ऐसे प्रसिद्ध विचारक हैं, जिनके बारे में दुनिया भर के कई शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया जाता है। यह उनके जमाने में भी सच था और आज भी है। एक बार रवींद्रनाथ टैगोर की मुलाकात महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से हुई थी। रवींद्रनाथ टैगोर और अल्बर्ट आइंस्टीन दोनों ने मुलाकात के दौरान भगवान, मानवता, विज्ञान, सत्य और सौंदर्य पर बातचीत की थी। इन दोनों महान विद्वानों का वार्तालाप को कई किताबों में भी लिखा गया है। जिसे पढ़ाया भी जाता है।
3. जब रवींद्रनाथ टैगोर की मुलाकात मुसोलिनी से हुई
रवींद्रनाथ टैगोर 1926 में इटली गए थे। जहां वह रोम में इटली के प्रधानमंत्री बेनिटो मुसोलिनी से मिले थे। राजनीतिक विचारों में मुखर रहने वाले रवींद्रनाथ टैगोर और मुसोलिनी से की मुलाकात कई देशों के लिए चिंता का विषय बन गया था। हालांकि इस मुलाकात में कुछ भी नकारात्मक बातें नहीं हुई थी।
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4. रवींद्रनाथ टैगोर की बहन एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं
रवींद्रनाथ टैगोर की बहन स्वर्णकुमारी देवी एक प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार थीं। इसके अलावा वह संगीत और सामाजिक कार्यों में भी शामिल रहती थीं। वह इन उपाधियों को हासिल करने वाली बंगाल की पहली महिलाओं में से एक थीं।
5. रवींद्रनाथ टैगोर के पिता चाहते थे कि वह एक बैरिस्टर बने
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता चाहते थे कि वह एक बैरिस्टर बने। इसलिए रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने उन्हें इंग्लैंड में पढ़ने के लिए भेजा था। जहां उनका दाखिला एक पब्लिक स्कूल में करवाया गया था। कानून की पढ़ाई के लिए रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन भी गए थे। लेकिन उन्होंने यूनिवर्सिटी छोड़ दिया था।